Hastinapur News: त्रेतायुग के लक्ष्मण को तो हर कोई जानता है मगर द्वापर के लक्ष्मण को  बहुत ही कम लोग जानते होंगे.  दरअसल मध्यकालीन युग में कौरव पाण्डव के युद्ध के दौरान लक्ष्मण ने भी बहादुरी से युद्ध किया था. उन्होंने अर्जुन पुत्र अभिमन्यु जैसे महारथियों का भी डटकर सामना किया था. कौरवों के महारथियों को पिछड़ते देख वीर लक्ष्मण क्रोधित भी हो गए थे. यदि दुर्योधन संग्राम जीता तो हस्तिनापुर में लक्ष्मण को ही युवराज की गद्दी मिलती. 


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कौन है द्वापर के लक्ष्मण
महाभारत काल के बारे में सभी लोगों ने बहुत सी कथाएं सुनी होंगी, लेकिन क्या आपने द्वापर में लक्ष्मण के बारे में सुना है, यदि  नहीं  तो आज हम आपको बताएंगे कि महाभारत में लक्ष्मण का क्या योगदान था और उन्होने किस पक्ष का साथ दिया था. दो परिवारों के बीच में छिड़े महासंग्राम में पांडवों के पुत्र की तरह कौरवों के बच्चों ने भी भाग लिया था.


साहसी कार्य सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु को चुनौती
अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की तरह ही दुर्योधन और भानुमती पुत्र लक्ष्मण भी एक वीर योद्धा था और उसने भी महाभारत के संग्राम में मौजूदगी दर्ज कराई थी. कुरुक्षेत्र की भूमि में इस नवयुवक ने भी सैकड़ों सैनिकों का वध किया था . लेकिन महाभारत के समय इनका सबसे साहसी कार्य सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु को चुनौती देना था, उसने ऐसे महारथी को ललकारा था. 


वीर लक्ष्मण को अभिमन्यु के हाथो वीर गति
जिसका सामना पूरी कौरव सेना मिलके नहीं कर पा रही थी, भावी हस्तिनापुर युवराज ने  चक्रव्यूह तोड़ने वाले महारथी के साथ पूरे साहस के साथ युद्ध किया, लेकिन आख़िर में उसे शिकस्त झेलनी पड़ी और इस प्रकार वीर लक्ष्मण को अभिमन्यु के हाथो वीर गति प्राप्त हुई. भानु मति नंदन की मृत्यु का सबसे गहरा सदमा दुर्योधन को हुआ था, जिसके चलते ही उसने अपने महारथियों के साथ मिलकर निहत्थे अभिमन्यु को मारकर अपने पुत्र की मौत का बदला लिया था . मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मण के लिए ये भी कहा जाता है कि यदि कौरव युद्ध जीतते तो धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन लक्ष्मण को हस्तिनापुर का नया युवराज बनाते.


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