Gorakhpur ka Itihaas: रामग्राम-सरयूपार से गोरक्षपुर तक... 2600 सालों में कैसे बदला गोरखपुर का इतिहास?
Gorakhpur ka Itihaas: उत्तर प्रदेश के कई शहरों के नाम बदल चुके हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सीएम सिटी का नाम कितना पुराना और कितनी बार बदला गया है? आखिर कैसे इस शहर का नाम रामग्राम से गोरखपुर पड़ा? पढ़िए
Gorakhpur ka Itihaas: वैसे तो अक्सर शहरों के नाम बदलते ही रहते हैं. पिछले कुछ सालों में यूपी के भी कई शहरों के नाम बदल गए हैं. ऐसे में प्रदेश का एक शहर ऐसा भी है जिसका नाम 220 साल से भी ज्यादा पुराना है. वह शहर कोई और नहीं, बल्कि सीएम सिटी गोरखपुर है. इस शहर का नाम एक, दो या तीन बार नहीं बल्कि आठ बार इसका नाम बदला गया. गोरखपुर का मौजूदा नाम सालों नहीं बल्कि दशकों पुराना है. इसके पीछे के इतिहास के बारे में भी बहुत कम लोगों को पता है. यह शहर धार्मिक केंद्र है, जो अतीत से बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा है. इस शहर का नाम संत गोरखनाथ के नाम पर ही वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया.
पूर्व मध्यकाल में इस शहर का नाम सरयूपार हुआ करता था. कई अभिलेखों में सरयूपार नाम दर्ज है. समय के साथ कई बार गोरखपुर का नाम बदला जा चुका है. इस शहर में सूती वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, खाद्य और अखाद्य तेल, धातु के बर्तन, बढ़ईगीरी के सामान, जूते, टोकरियां, कंबल के कारोबार किए जाते हैं.
कितना पुराना है इतिहास?
दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी को माना जाता है, लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि गोरखपुर भी बहुत प्राचीन शहर है. रिपोर्ट्स की मानें तो इस शहर का इतिहास 2600 साल पुराना है. अब तक इस शहर का नाम 8 बार बदला जा चुका है. छठी शताब्दी में सबसे पहले इस शहर का नाम 'रामग्राम' हुआ करता था. इतिहासकारों के मुताबिक, रामग्राम भौगोलिक आपदा के चलते जमीन में धस गया, लेकिन आज भी वो स्थान मौजूद है. बस अंतर इतना है कि अब वो एक झील है और यह रामगढ़ताल के नाम से फेमस है.
चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में बदला नाम
रिपोर्ट्स की मानें तो इस क्षेत्र पर जब चंद्रगुप्त का शासन शुरू हुआ, तब इसका नाम बदलकर पिप्पलिवन किया गया. तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में रामग्राम पिप्पलिवन के नाम से जाना गया. नौवीं शताब्दी में गुरु गोरक्षनाथ का प्रभाव बढ़ने लगा था. तब रामग्राम से बने पिप्पलिवन का नाम बदलकर गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर गोरक्षपुर रखा गया.
मुगलकाल में चार बार बदला नाम
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुगलों के शासन में एक-दो नहीं बल्कि चार बार गोरखपुर का नाम बदला. करीब 13वीं 14वीं शताब्दी में जौनपुर में शरकी के शासनकाल के दौरान गोरक्षपुर का नाम बदलकर सूब-ए-सर्कियां रखा गया. फिर 14वीं शताब्दी में नाम फिर बदला गया और इस बार शहर का नाम अख्तरनगर रखा गया. फिर 17वीं शताब्दी में अख्तरनगर का नाम बदलकर गोरखपुर सरकार रखा गया. इसी शताब्दी में 1659-1707 के दौरान औरंगजेब के शासन में गोरखपुर सरकार का नाम बदलकर मोअज्जमाबाद रखा गया.
ब्रिटिश काल से मिला ये नाम
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान अंतिम बार शहर का नाम बदला गया था. ब्रिटिश काल में मोअज्जमाबाद का नाम बदलकर गोरखपुर रखा गया. ये नाम गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर रखा गया था. तब से आजतक शहर का नाम गोरखपुर ही है. मौजूदा नाम भी 220 साल से अधिक पुराना है.
जानें शहर का महत्व
गोरखपुर महान सन्त परमहंस योगानन्द का जन्म स्थान भी है. इस शहर में और भी कई ऐतिहासिक स्थल हैं. यहां के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर, विष्णु मंदिर, गीता वटिका, गीता प्रेस, चौरीचौरा शहीद स्मारक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. इसके अलावा यहां का आरोग्य मंदिर, इमामबाड़ा, रामगढ़ ताल, पुरातात्विक बौद्ध संग्रहालय, नक्षत्रशाला भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
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