बागपत में कहां है बाबा राम रहीम का महलनुमा आश्रम, 44 साल पहले बना, जेल से रिहाई के बाद यहीं ठहरता है डेरा सच्चा सौदा प्रमुख
Gurmeet Ram Rahim Singh: आश्रम की खास बात है कि यहां खेती भी होती है. लंगर और कैंटीन का संचालन भी यहां होता है. आश्रम के बाग में कई तरह के फल सब्जियां होते हैं. साथ ही साथ डेयरी भी स्थित है. स्थानीय लोगों के लिए यह आश्रम एक आकर्षण का केंद्र है.
Gurmeet Ram Rahim Ashram in Baghpat: यूपी के पड़ोसी राज्य हरियाणा में इन दिनों चुनावी सरगर्मी है. इस बीच डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 20 दिन की पैरोल मिल गई है. वह रोहतक की सुनारिया जेल से निकलकर बागपत स्थित अपने आश्रम आ पहुंचा है. मिली जानकारी के अनुसार गुरमीत अपनी पैरोल का सारा वक्त इसी आश्रम में बिताएगा.
डेरे का संक्षिप्त परिचय
मस्ताना बलूचिस्तानी ने साल 1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी. उनके चाहने वाले उन्हें बेपरवाह मस्ताना कहते थे. 1960 में उनका निधन हो गया. इसके बाद शाह सतनाम गुरु बने और 1990 तक डेरे के काम को आगे बढ़ाया. उसके बाद डेरे की जिम्मेदारी गुरुमीत राम रहीम को मिली.
बरनावा आश्रम कब और कैसे बना
अब जिस आश्रम राम रहीम पहुंचा है उसके बारे में बताते हैं. बरनावा आश्रम की स्थापना शाह सतनाम ने साल 1980 में की थी. यह आश्रम बड़ौत मेरठ रोड पर स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि बेपरवाह मस्ताना ने सिरसा में आश्रम बनाया था. जिसकी समय के साथ लोकप्रियता बढ़ने लगी. लोग यहां दूर दूर से आते थे. समय के साथ यूपी में भी उनकी लोकप्रियता होने लगी. इसलिए सोचा गया कि एक आश्रम यूपी में बनाया जाए. 1974 के बाद से पश्चिमी यूपी में डेरे के बहुत से सत्संग हुए.
यूपी में डेरे के लाखों अनुयायी
इस बीच यूपी के श्रद्धालु भी काफी समय से मांग कर रहे थे कि उनके यहां भी बाबा का एक आश्रम हो. समय के साथ एक अच्छी जगह खोजने का सिलसिला जारी रहा. आखिर में बड़ौत से मेरठ के रास्ते पर आश्रम बनाना तय हुआ. बाद में शाह सतनाम यहां खुद आए और उन्होंने सत्संग किया. 1 अक्टूबर को उन्होंने अपने हाथों से आश्रम की आधार शिला रखी. कुछ समय बाद यहां एक भव्य आश्रम बन गया.
आश्रम में क्या क्या सुविधाएं
1982-83 के आस पास आश्रम में अन्य सुविधाओं का निर्माण किया गया. एक आंकड़े के मुताबिक अकेले यूपी से श्रद्धालुओं की संख्या 10 लाख है. हजारों लोग आए दिन गुरुमंत्र लेने आते हैं. आश्रम की खास बात है कि यहां खेती भी होती है. लंगर और कैंटीन का संचालन भी यहां होता है. आश्रम के बाग में कई तरह के फल सब्जियां होते हैं. साथ ही साथ डेयरी भी स्थित है. स्थानीय लोगों के लिए यह आश्रम एक आकर्षण का केंद्र है.