Jagadguru Kripalu Ji Maharaj Family News : कृपालु जी महाराज का 6 अक्टूबर 1922 को प्रतापगढ़ जिले के मनगढ़ कस्बे में हुआ था. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा मध्य रात में दुर्लभ संयोग में वो पैदा हुए. बचपन में उनका नाम राम कृपालु त्रिपाठी था. मां भगवती देवी और पिता ललिता प्रसाद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनकी तीन बेटियां विशाखा, श्यामा और कृष्णा ही उनके मंदिरों और धर्मार्थ संगठनों से जुड़े ट्रस्ट का कामकाज संभालती हैं. उनकी बेटियों का रविवार को यमुना एक्सप्रेसवे पर भीषण एक्सीडेंट हुआ, जिसमें विशाखा की मौत हो गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कृपालुजी जी महाराज ने प्रतापगढ़ से हाई स्कूल तक शिक्षा ग्रहण की. फिर उच्च शिक्षा के लिए वो मध्य प्रदेश चले गए. कहा जाता है कि 14 साल की आयु में इन्होंने दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ. कम उम्र में विवाह पश्चात वो पत्नी संग गृहस्थ जीवन में जम गए. कृपालु जी महाराज की पांच बेटे बेटियां पैदा हुईं. घनश्याम और बालकृष्ण त्रिपाठी उनके बेटों का नाम है.जबकि तीन बेटियां  विशाखा, कृष्णा और श्यामा हैं.


जगद्गुरू कृपालु जी महाराज जी की बेटियों का यमुना एक्सप्रेस पर भयानक एक्सीडेंट, बड़ी बेटी की मौत


34 साल में बने जगद्गुरु 
कृपालु जी महाराज गृहस्थ जीवन के बावजूद धर्म आध्यात्म की ओर रुख किया. वेदों, पुराणों के अध्ययन के बाद कृष्ण भक्ति से जुड़ी कथा और प्रवचन कहने लगे. धीरे-धीरे उनकी चर्चा देश-विदेश फैल गई. मकर सक्रांति पर काशी विद्युत परिषद ने 14 जनवरी 1957 को उन्हें जगद्गुरु की उपाधि दी. उस समय वो कृपालु जी महाराज की उम्र 34 साल थी.


प्रेम मंदिर बनवाया
कृष्ण नगरी मथुरा के निकट वृंदावन में प्रेम मंदिर कृपालु महाराज ने बनवाया. 11 साल में करीब 100 करोड़ की लागत ये मंदिर बना. इसमें  इटैलियन मार्बल का इस्तेमाल किया गया. प्रेम मंदिर को यूपी और राजस्थान के हजारों शिल्पकारों ने कड़ी मेहनत से तैयार किया. आज यह ताजमहल की तरह मोहब्बत के दीवानों के लिए प्रेम का सबसे बड़ा प्रतीक है. जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने वैलेंटाइन डे के दिन 14 फरवरी 2001 को प्रेम मंदिर का भूमि पूजन किया था. 11 साल बाद 17 फरवरी 2012 वैलेंटाइन वीक में यह मंदिर खोला गया.


बेटियों से गहरा लगाव
कृपालु महाराज को बेटियों से काफी लगाव था. उत्तर प्रदेश से लेकर अमेरिका तक मंदिरों, ट्रस्ट का पूरा साम्राज्य बेटियां ही संभालती हैं. इमका तीन बेटियां तीन ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं. सबसे बड़ी बेटी का नाम विशाखा त्रिपाठी हैं, जिनका 24 नवंबर 2024 को यमुना एक्सप्रेसवे के निकट सड़क दुर्घटना में निधन हो गया. दूसरे नंबर पर श्यामा त्रिपाठी और सबसे छोटी कृष्णा त्रिपाठी हैं. एक बेटा रियल एस्टेट कारोबारी और दूसरा कथावाचक है.


तीनों बेटियां अविवाहित
तीनों बेटियां हीं प्रतापगढ़ का मनगढ़ ट्रस्ट , वृंदावन ट्रस्ट और बरसाना ट्रस्ट की जिम्मेदारी संभालती हैं.इन तीनों बेटियों ने कभी शादी नहीं की.कृपालुजी महाराज के ट्रस्ट द्वारा कई  विद्यालय, अस्पताल, अनाथालय और गौशालाएं भी संचालित होती हैं. 


विशाखा, श्यामा और कृष्णा ने वृंदावन, आगरा और प्रयागराज से पढ़ाई की.  विशाखा ने कला से श्यामा ने संस्कृत भाषा और कृष्णा त्रिपाठी ने साहित्य से पीएचडी की.विशाखा त्रिपाठी कृपालु महाराज के साथ अमेरिका भी गईं थीं.
 
तीनों बहनें आध्यात्म और वैराग्य में लीन
विशाखा, श्यामा और कृ्ष्णा रात एक बजे से विदेश मे सुबह के समयानुसार, दिनचर्या प्रारंभ करती हैं. ब्रह्ममुहूर्त में पूजा अर्चना के बाद नाश्ता और फिर ऑनलाइन देश-विदेश के ट्रस्ट के संचालन की समीक्षा करती हैं.आश्रम में गतिविधि सुबह 4 बजे से शुरू होती है. अस्पताल, अनाथाश्रम और अन्य संस्थानों की गतिविधियों का लेखाजोखा रखती हैं


कृपालु जी महाराज का निधन
कृपालुजी महाराज का निधन 91 साल की उम्र में 15 नवंबर 2013 को  हुआ. प्रतापगढ़ में उनके आश्रम में वो फिसल गए और उनके सिर में गहरे जख्म के बाद वो कोमा में चले गए. फिर कुछ समय तक गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के बाद उनकी मृत्यु हो गई.


 जौनपुर के गिरिधर मिश्रा कैसे बने रामभद्राचार्य, कैसे खोई आंखों की रोशनी, फिर 22 भाषाओं के प्रकांड पंडित बने


Swami Narayan: गोंडा के घनश्याम पांडे कैसे बने स्वामीनारायण, 202 साल पहले बना पहला मंदिर, आज दुनिया में एक हजार