Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा आज भी भक्तों के मन में हैं विराजमान, माने जाते हैं हनुमान जी का अवतार
Neem Karoli Baba: 20वीं सदी के प्रसिद्ध संतों में नीम करोली बाबा का नाम जरूर आता है. बाबा को मानने वालों में देश-विदेश तक लोग है. 17 साल में ही बाबा को ज्ञान प्राप्ति हो चुकी थी. यहां तक की बाबा को लोगों ने हनुमान जी का अवतार माना है.
Neem Karoli Baba Biography in Hindi: नीम करौली बाबा का जिक्र बाबा को मामने वाले भक्तों को अनेक भावों से भर देता है. बाबा का नाम सुनते ही उनके भक्त अलग ही दुनिया में पहुंच जाते हैं. ये बात आज जग जाहिर है कि नीम करोली बाबा को भारत ही नहीं बल्कि बाहर के देशों में भी मानने वाले है. कई बड़ी-बड़ी हस्तियां हैं जो बाबा के चमत्कारों और उनके प्रति अपनी आस्था को अपने मन में समेटे हुए हैं. बाबा नीम करौली 20वीं सदी के महान संतों में गिने जाते हैं. बड़ी-बड़ी हस्तियां भी उनके एक दर्शन के लिए लालायित होती थी.
नीम करोली बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर क्रिकेटर विराट कोहली, अभिनेत्री अनुष्का शर्मा तक भक्तों की लिस्ट में शामिल हैं. बाबा के अनुयायी इन्हें साक्षात हनुमान जी के अवतार मानते हैं. बाबा के जीवन संबंधी एक से एक चमत्कार है जिससे उनकी महानता के बारे में पता चलता है लेकिन फिर भी बाबा स्वयं को एक साधारण व्यक्ति के अलावा और कुछ नहीं मानते थे. यहां तक कि वो कभी भी किसी भक्त को अपने पैर तक नहीं छूने देते थे. नीम करोली बाबा का संपूर्ण जीवन लोगों के हित में गुजरा.
नीम करोली बाबा का जीवन परिचय
उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में 1900 के आसपास नीम करोली बाबा का जन्म हुआ. बाबा के पिता का नाम दुर्गा प्रसाद था. लक्ष्मीनारायण शर्मा नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम था. जब तक बाबा इस दुनिया में रहे नीम करोली बाबा, लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा व तिकोनिया वाले बाबा के साथ ही तलईया बाबा के नाम से जाना गया. किरहीनं गांव से बाबा की प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई और महज 17 साल की आयु में ही बाबा ने ज्ञान की प्राप्ति कर ली. 11 वर्ष की आयु में नीम करोली बाबा का विवाह करा दिया गया लेकिन बाबा ने बावजूद इसके घर का त्यागकर गुजरात में एक वैष्णव मठ में चले गए. वहीं पर बाबा ने दीक्षा लेकर साधना की और फिर कई जगहों पर भ्रमण के लिए निकल गए. हालांकि, एक समय ऐसा भी हुआ जब बाबा को गृहस्थी में लोटना पड़ा.
इसके बाद नीम करोली बाबा को दो पुत्र हुए और एक पुत्री पर साल 1958 में बाबा ने फिर से गृह त्याग किया और भ्रमण के लिए निकल पड़े. इस बार भ्रमण के दौरान कैंची धाम पहुंचें और साल 1964 में आश्रम की स्थापना कर डाली. बाबा यहां पर हनुमान मंदिर भी स्थापित करवाया. 1961 में पहली बार बाबा ने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ यहां पहुंचे थे और भी उनके मन में आश्राम निर्माण का विचार आया था. नीम करोली बाबा के आश्रम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में स्थापित किए गए.
हनुमान जी के उपासक थे बाबा नीम करोली
बाबा नीम करोली को मानने वाले उनके भक्त व अनुयायी उन्हें साक्षात हनुमान जी के अवतार मानते रहे हैं. रोचक बात ये है कि नीम करोली बाबा खुद भी भगवान हनुमान के अन्नय भक्त थे और उनकी पूजा किया करते थे. हनुमान जी के कई मंदिर का निर्माण बाबा ने करवाए. बाबा के भक्त जब उनके पैर छूना चाहते थे तो वो मना कर देते थे. कहते कि पैर छूना है तो हनुमान जी के छुओ. नीम करोली बाबा भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं. आज भी भक्त श्रद्धापूर्वक उन्हें अपने हृदय में रखते हैं. बाबा अपने अलौकिक रूप में भक्तों के बीच ही होते है.
नीम करोली बाबा का आखिरी समय
नीम करोली बाबा एक बार आगरा से नैनीताल जा रहे थे कि इसी दौरान उनकी तबियत खराब हो गई. इसकी वजह से वृंदावन स्टेशन पर उन्हें उतरना पड़ा. आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया. बाबा ने तुलसी और गंगाजल ग्रहण किया और इस तरह 11 सितंबर 1973 को दुनिया छोड़ गए. वृंदावन में नीम करोली बाबा की समाधि मंदिर आज भी विराजमान है.
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