UP News: उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित है एक ऐसी नगरी जिसका भारतीय इतिहास, अध्यात्म और पर्यटन के साथ है संगम. जहां की बहती हुई हवा इस जगह की गौरवगाथा को बखान करती है. इस नगरी को नाम है बिठूर. यह नगर वही है जहां भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की और इस नगर ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी भी देखी.


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क्यों है ऐतिहासिक
बिठूर वही नगरी है जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता का त्याग किया तो वह महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में आकर इसी नगरी में रही थीं. इसी नगरी में महर्षि वाल्मीकि के सानिध्य में ही उनके पुत्र लव-कुश ने शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की थी. इस शहर की मान्यता है कि यहीं भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी. इसका साक्षी यहां स्थित ब्रह्मावर्त घाट है. आपको बता दें बिठुर के ब्रह्म खूंटी को विश्व का केंद्र बिंदु भी माना जाता है. इसी जगह पर ध्रुव की तपस्थली ध्रुव टीला के नाम से प्रसिध्द है. 


प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय भूमिका
इस ऐतिहासिक धरती में रानी लक्ष्मी बाई के शौर्य, तात्या टोपे के बलिदान की कहानी सुनाई देती है. जिन्होंने आजादी की क्रांति के लिए वर्ष 1857 में बिगुल फूंककर स्वाधीनता के लिए अपनी जान लड़ा दी थी. यह धरा आज भी नानाराव पेशवा, महान क्रांतिकारी तात्या टोपे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे अनगिनत ज्ञात-अज्ञात क्रांतिकारियों की स्मृतियों को संजोये हुए है.


नाना साहब पेशवा स्मारक पार्क 
इस पार्क का जीर्णोद्धार वर्ष 2004-05 में तत्कालीन बसपा सरकार के शासनकाल में हुआ था. पार्क के अंदर एक संग्रहालय, एक तरण ताल, छोटे बच्चों के लिए झूला और इनके सबके साथ भारत के वीर सपूत क्रांतिकारी नाना साहब पेशवा, तात्या टोपे, अजीमुल्ला खान, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की तस्वीरें हैं.


रानी लक्ष्मीबाई घाट
नगर के परियर पुल के समीप गंगा घाट पर रानी लक्ष्मीबाई घाट स्थित है. इसके बारे में ऐसा बताते हैं कि पेशवा महल की गुफा से होकर रानी लक्ष्मी बाई स्नान करने इस घाट पर आती थीं. इस घाट को बाद में अंग्रेजों ने तोप से उड़ा दिया था. परंतु अब इस घाट का सुंदरीकरण नमामि गंगे के तहत कराकर रानी लक्ष्मी बाई की एक बड़ी प्रतिमा भी लगाई गई है.


पर्यटन ने बढ़ाया रोजगार
सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत यहां के घाट और मंदिर को संवार कर बिठूर को पर्यटन के मानचित्र में ऊपर लाकर खड़ा कर दिया है. इसी वजह से यहां के लोगों के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ गए हैं. नमामि गंगे योजना के तहत यहां के गंगा घाट की बहुत ज्यादा शोभा बढ़ गई है. 


किसानों ने बनाई अलग पहचान
अब ऐतिहासिक नगरी बिठूर के कटरी क्षेत्र के किसानों ने भी प्रदेश और देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. पुराना बिठूर, रमेल, ईश्वरीगंज, बनिया पुरवा, हृदयपुर, भोपालपुरवा, भगवानदीन पुरवा, प्रतापपुर हरी, शिवदीन पुरवा का खरबूजा, तरबूज, अमरूद और करेले की मांग अब दिल्ली-नोएडा से लेकर गाजियाबाद तक है. 


तात्या टोपे के प्रपौत्र विनायक राव टोपे ने बताया है कि तात्या टोपे का मकान आज भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. इस घर में उनके ढाल व कृपाण रखे हैं. इस बारे में वह कई बार आवाज भी उठा चुके हैं. परंतु अभी कोई सटीक काम नहीं हुआ. सरकार को इस दिशा में जरूर बेहतरी दिखानी चाहिए.