कभी रावण के पिता ने की तपस्या तो कभी पांडवों ने ली शरण, जानें डासना मंदिर के बारे में, जिसके महंत हैं यति नरसिंहानंद
Dasna Mandir: मंदिर में कमल के फूलों का एक तालाब भी है.जिसमें स्नान करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है. वहीं इस मंदिर में शेर की एक समाधि है. एक वक्त की बात है मंदिर के पास तालाब में एक शेर पानी पीने आता था. जो देवी से प्रार्थना करता था. बाद में उसने माता के मंदिर में ही प्राण त्यागे. बाद में उसकी समाधि यहां बनाई गई.
Dasna Devi Mandir in Ghaziabad: यति नरसिंहानंद के पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए गए बयान से इन दिनों विवाद छिड़ा हुआ है. नरसिंहानंद के चलते एक विषय जिस पर सबसे अधिक लोगों का ध्यान जा रहा है वह है डासना मंदिर जिसके कि नरसिंहानंद महंत हैं. डासना मंदिर गाजियाबाद स्थित मां काली का मंदिर है. लोक मान्यताओं के मुताबिक यह मंदिर रहस्यमयी है.
पौराणिक मान्यताएं
मंदिर को लेकर एक कथा है. जिसके अनुसार रावण के पिता विश्रवा ऋषि ने डासना के मंदिर में तपस्या की थी. अगर आप मंदिर की बनावट को ध्यान से देखें तो पता चलेगा कि मंदिर में लखौरी ईंटों का इस्तेमाल किया गया है. मुमकिन है कि मंदिर मुगलकालीन समय में बना हो. इस मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी रही है कि यह मंदिर महाभारत के समय का है. किंवदंतियों के अनुसार पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां शरण ली थी. बाद में मुगलकाल में मंदिर को क्षति पहुंचाई गई थी.
जब इस मंदिर पर हमला हुआ तो मंदिर के पुजारी ने मूर्ति को तालाब में छिपा दिया था. आधुनिक समय में एक रोज महंत जगत गिरि महाराज को सपना हुआ. उनके सपने में देवी आई और देवी ने उनसे कहा कि देवी की मूर्ति तालाब में है. इसके बाद मूर्ति को मंदिर में पुन: स्थापित किया गया.
डासना मंदिर क्यों है खास
यहां मां शक्ति काली स्वरूप में विद्यमान हैं. आमतौर पर मां काली की मूर्ति में माता की जीभ बाहर की ओर होती है लेकिन यहां ऐसा नहीं है. मूर्ति में माता कमल के फूल पर खड़ी हैं. माता की मूर्ति कसौती के पत्थर की बनी है. जिसके चलते यह मूर्ति बेशकीमती हो जाती है. डासना मंदिर में विराजमान शिवलिंग अपने आप में विशेष है. इसकी विशेषता यह है कि इसके ऊपर कोई छत टिकती नहीं है.
मंदिर में कमल के फूलों का एक तालाब भी है.जिसमें स्नान करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है. वहीं इस मंदिर में शेर की एक समाधि है. एक वक्त की बात है मंदिर के पास तालाब में एक शेर पानी पीने आता था. जो देवी से प्रार्थना करता था. बाद में उसने माता के मंदिर में ही प्राण त्यागे. बाद में उसकी समाधि यहां बनाई गई.
कैसे पहुंचें डासना मंदिर
आप राष्ट्रीय राजमार्ग 9 से होते हुए मंदिर पहुंच सकते हैं. आपको बता दें कि नवरात्रि के समय पर यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. नवरात्रि में यहां हवन होता है और माता का विशेष शृंगार भी किया जाता है. यहां आए हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है.