Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ के बारे में अगर कुछ सबसे ज्यादा मशहूर है तो वो है इस शहर की भारत की आजादी के लिए 1857 की क्रांति में अहम भूमिका. हालांकि रामायण और महाभारत की पौराणिक कथाओं में भी इसका जिक्र मिलता है. रामायण काल में मेरठ का जिक्र रावण की ससुराल के रूप में मिलता है तो महाभारत काल का लाक्षागृह, हस्तिनापुर भी मेरठ में ही स्थित है. लेकिन बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि पर्यटन के लिहाज से भी मेरठ में कई धार्मिक और सांस्कृतिक खूबसूरत जगह हैं. इतना ही नहीं कुछ जगह तो ऐसी भी हैं जो सुंदरता में विदेशों को टक्कर देती हैं. 

 

औघड़नाथ मंदिर 

भगवान शिव को समर्पित बाबा ओघड़नाथ का मंदिर मेरठ के प्रमुख आकर्षणों में से एक है. शिवरात्रि पर यहां हर साल लाखों शिभक्त पूजा करने के लिए आते हैं. बताया जाता है कि मंगल पांडे और उनके साथियों ने यहीं काली पलटन मंदिर से 1857 की क्रांति का आगाज किया था. वैसे इस मंदिर की स्थापना कब और कैसे हुई इसकी निश्चित तारीख का पता नहीं चल सका है.  

 

हस्तिनापुर

हस्तिनापुर को महाभारत काल के कुरवंश की राजधानी और जैन धर्म की नगरी के रूप में जाना जाता है. यह स्थान जैन धर्म के तीर्थंकर शांतिनाथ, कुन्थुनाथ और अरहनाथ की दीक्षा, जन्म और कैवल्य प्राप्ति हुई थी. हस्तिनापुर में उल्टा खेड़ा नाम से प्रसिद्ध विदुर का टीला भी है. हस्तिनापुर में प्राचीन पांडेश्वर मंदिर, द्रोपेश्वर मंदिर, कर्ण मंदिर और जैन मंदिर बहुत मशहूर हैं.

 

शहीद स्मारक

1857 की क्रांति में शहीद हुए सिपाहियों को श्रद्धांजलि देने के लिए तीस फुट ऊंचे इस स्मारक का निर्माण 1995 में कराया गया था. यह सफेद मार्बल पत्थर से बना हुआ है. गौरतलब है कि 1857 की क्रांति की शुरुआत मेरठ से ही हुई थी. 

 

सेंट जॉन चर्च 

इस चर्च का निर्माण ब्रिटिश पादरी रेवरेंड हेनरी फिशर ने 1819 में शुरू कराया था और 1824 तक यह बनकर तैयार हुआ था. सेंट जॉन चर्च भारत के सबसे पुराने चर्चों में से एक हैं. इसमें एक साथ 10 हजार लोग प्रार्थना कर सकते हैं. इस चर्च का निर्माण संगमरमर,  पीतल, लकड़ी और कांच से किया गया है. यह चर्च भी 1857 की क्रांति से जुड़ा हुआ है क्योंकि क्रांति में मारे गए अंग्रेज सैनिकों का अंतिम संस्कार इसी चर्च में किया गया था. 

 

सूरजकुंड पार्क

कई प्राचीन मंदिरों से घिरे सूरजकुंड पार्क का निर्माण 1744 में एक बिजनेस मैन लॉर्ड जवाहर लाल ने कराया था. इस पार्क के बीचों-बीच एक झील भी बनी हुई है. यहां बाबा मनोहर नाथ का मंदिर भी है जिसे सम्राट शाहजहां ने बनवाया था. हर साल दशहरा पर यहां मेला भी लगता है. 

 

पांडव मंदिर

बताया जाता है कि पांडव जब हस्तिनापुर से लाक्षागृह जा रहे थे तो पांडवों ने इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी. भगवान शिव ने खुद पांडवों को सपने में आकर इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना का आदेश दिया था. यह मंदिर सरधना तहसील में काली और हिंडन नदी के बीच स्थित है. 

 

कैसे पड़ा मेरठ नाम

कहा जाता है कि मेरठ नाम की उत्पत्ति 'माया राष्ट्र' शब्द से हुई, यानी माया का देश. जो पहले 'मैराष्ट्र', फिर 'मैं-दंत-का-खेड़ा' और आखिर में मेरठ हो गया. हिन्दू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माया असुरों का निर्माता था. जिसकी बेटी मंदोदरी का विवाह रावण से हुआ था. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार माया एक वास्तुकार थे जिन्होंने युधिष्ठर से मिली जमीन पर मेरठ बसाया. इसके अलावा मेरठ, इंद्रप्रस्थ के राजा महिपाल के शासन का भी हिस्सा था. 

 

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