जरूर चखें सर्दियों में बनारस की ये खास मिठाई, मुंह में जाते ही घुल जाता है स्वाद

varanasi sweet: मलइयो का दुर्लभ स्वाद बनारस के अलावा दुनिया में कही नहीं मिलेगा. केसरिया दूध की झाग में हल्की मिठास और मनमोहक सुगंध सुबह ए बनारस में चारचांद लगाती है.

प्रीति चौहान Jan 08, 2025, 16:34 PM IST
1/11

यूपी का स्वाद और जायका

आज यूपी के स्वाद और जायके की बात करते हैं.  हम आपको आज बनारस की उस गली में चलते हैं, जहां उस मिठाई को बड़े ही ठेठ अंदाज में बनाया जाता है. सबसे खास बात ये कि इस मिठाई की रेसिपी किसी और के पास है ही नहीं. ये लजीज मिठाई केवल सर्दियों के मौसम में ही बनाई जाती है. क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है. आपको लेकर चलते हैं बनारस में. 

 

2/11

बनारसी मलइयो

बनारस तो बनारसी साड़ी और बनारसी पान के लिए फेमस है. लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी है जिसका जायका सिर्फ वाराणसी में ही मिलता है. हम आपको यहां की एक ऐसी मिठाई के बारे में बता रहें हैं, जो अपने आप में बहुत प्रसिद्ध है. बनारस की इस मिठाई का नाम बनारसी मलाइयों. यह इतनी लजीज होती है कि  लोग इसको खाने के लिए लालायित रहते हैं.

 

3/11

ओस की मिठाई

हल्की मिठास लिए केसरिया दूध का झाग ‘पानी केरा बुदबुदा’ (पानी के बुलबुले) की याद दिलाता है. मुंह में रखते ही यह हवा में घुल सा जाता है और बची रह जाती है मनमोहक सुगंध व शायद कुछ हवाइयां पिस्ते की. ये इतनी लजीज होती है कि देखते ही आप खुद को कंट्रोल नही कर पाएंगे.

 

4/11

बनारस का एकाधिकार

इस मिठाई पर बनारस का एकाधिकार है. मलइयो इतनी चमत्कारी है कि कि कुल्हड़ के कुल्हड़ हलक से उतर जाने के बाद भी आप तय नहीं कर पाएंगे कि इसे खाया या पिया जाए.

 

5/11

कैसे बनाई जाती है ये मिठाई

मलइयो को बनाने की विधि भी बेहद खास है. इस मिठाई को बनाने के लिए सबसे पहले कच्चे दूध को बड़े-बड़े कड़ाहों में उबाला जाता है. रात में उस खौले हुए दूध को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. उसके बाद किसी बर्तन से दूध को काफी देर तक उलटा जाता है. 

 

6/11

पूरी रात ओस

इस प्रक्रिया के दौरान निकले झाग को मिट्टी के पुरवे में भरा जाता है. पूरी रात ओस पडऩे की वजह से इसमें झाग पैदा होता है. सुबह दूध को मथनी से मथा जाता है और फिर इसके बाद छोटी इलायची, केसर एवं मेवा डालकर दोबारा से मथा जाता है. इसे कुल्हड़ में डालकर बेचा जाता है.

 

7/11

बेहद गुणकारी है यह मिठाई

ओस की बूंदों से तैयार होने वाली मलाइयो आयुर्वेदिक दृष्टि से काफी लाभकारी होती है. क्योंकि ओस की बूंदों में प्राकृतिक मिनरल पाए जाते हैं जो की त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. ये चेहरे की झुर्रियों को रोकते हैं. बादाम, केसर शरीर को शक्ति प्रदान करता हैं. केसर से चेहरे की सुंदरता बढ़ती है.ये मिठाई आंखों की ज्योति के लिए वरदान मानी जाती है.

 

8/11

सिर्फ सर्दियों में बनती है ये मिठाई

यह मिठाई केवल सर्दी के तीन महीनों में ही बनाई जाती है. यानी ये केवल 3 महीने ही मिलती है. जितनी अधिक ओस पड़ती है उतनी ही इस मिठाई की गुणवत्ता बढ़ती है. यह मिठाई सबसे अधिक गंगा के किनारे बसे मोहल्लों में ही बिकती है. यहां के स्थानीय निवासी ही नही बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटक भी इसके बहुत शौकीन हैं. 

 

9/11

कहां से शुरू हुई मलइयो बनाने की शुरुआत

दूध से बनने वाली मलइयो की शुरुआत सैकड़ों साल पहले बनारस में ही हुई थी. मलइयो बनाने की शुरुआत पक्के महाल में चौखंभा से हुई थी. चौखंभा गोपाल मंदिर से इसका दायरा बढ़कर चौक, गोदौलिया ही नहीं अस्सी व लंका तक इसकी दुकानें सज गईं. वैसे पक्के महाल में चौखंभा का मलइयो फेमस है. 

 

10/11

सर्दियों में ही क्यों बनती है मलइयो

मलइयो के सर्दी में बनने के पीछे खास कारण है.  दरअसल मलइयो के लिए जिस तरह के गाढ़े दूध की जरूरत होती है वह जाड़े में ही मिलता है.  मलइयो मिठाई की जान है ओस की बूंद.  ओस की बूंद ही इस मिठाई के स्वाद को बनाती है. यह ओस की बूंद सर्दियों में ही मिलती है.  मलइयो मिठाई सिर्फ दूध की मलाई से बनती है. इसी कारण मलइयो को ठंड में ही बनाया जाता है.

 

11/11

कितने रुपये की मिलती है मलइयो

वाराणसी में 300 से 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मलइयो मिलती है. वहीं 15 रुपये से लेकर 30 रुपये तक छोटे, मीडियम और बड़े साइज के कुल्हड़ में भी इसे बेचा जाता है.

 

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link