Azamgarh News: आजमगढ़ में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन आने वाले 10 मार्च को होने वाला है. यहां जिले में बने मंदुरी एयरपोर्ट के साथ ही विश्वविद्यालय का लोकार्पण भी पीएम मोदी करने वाले है. भारतीय जनता पार्टी  की यहां पर रैली होगी जिसे कामयाब बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है. आजमगढ़ जिले के मंदुरी हवाई अड्डे के साथ ही यहां के रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के अन्य 4 हवाई अड्डों का भी लोकार्पण किया जाएगा.  


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजमगढ़ के जिस विश्वविद्यालय का लोकार्पण करने जा रहे हैं उसका नाम महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय है. क्या आप जानते हैं कि जिस महाराजा सुहेलदेव के नाम पर इस विश्वविद्यालय को बनाया गया है वो महाराजा सुहेलदेव आखिर कौन है? आइए उनसे जुड़ी कुछ विशेष बातों को जान लेते हैं.  


पूर्व में गोरखपुर और पश्चिम की ओर सीतापुर
सुहेलदेवजी 11वीं सदी में श्रावस्त्री के राजा हुए और बहराइच से लेकर श्रावस्ती जिले तक उनका राज्य फैला हुआ था. मिरात-ए-मसूदी की माने तो श्रावस्ती के राजा मोरध्वज के सुहेलदेवजी बड़े बेटे थे और अवध गजेटियर की माने तो  माघ माह की बसंत पंचमी के दिन 990 ईस्वी को बहराइच के महाराजा प्रसेनजित के घर सुहेलदेव का जन्म हुआ. महाराजा सुहेलदेव के शासन काल की बात करें तो यह 1027 ईस्वी से से लेकर 1077 तक रहा था. इस दौरान उन्होंने अपने साम्राज्य का काफी ज्यादा विस्तार किया, विशेषकर पूर्व में गोरखपुर और पश्चिम की ओर सीतापुर तक किया. 


महमूद गजनवी का भांजा मसूद गाजी
सुहेलदेवजी के पराक्रम का परिचय तब मिलता है जब वर्ष 1034 में महमूद गजनवी के भांजे गाजी सैयद सालार मसूद व उसकी संपूर्ण टोली को उन्होंने युद्ध में हार का स्वाद चखाया. यह युद्ध में जीतना इस वजह से भी विशेष था क्योंकि बहराइज पर रात के समय मसूद ने हमला किया था. इस बारे में अबुल फजल ने अपने आइन-ए- अकबरी में लिखा है कि महमूद गजनवी का भांजा मसूद गाजी था. 


21 पासी राजाओं का गठबंधन
एक रिसर्च बताती है कि सुहेलदेव ने बहराइच की लड़ाई में 21 पासी राजाओं का गठबंधन बनाया और सैयद सालार मसूद गाजी को युद्ध में धूल चटा दी. इन राजाओं में जिन जगहों के राजा शामिल थे वो हैं- 
बहराइच, श्रावस्ती
लखीमपुर, सीतापुर
लखनऊ और बाराबंकी के सांस राजा


संघ के जरिए  मुस्लिम बादशाहों से युद्ध
सुहेलदेवजी की जाति के संबंध में समय समय पर विवाद होते रहते हैं. सुहेलदेव राजभर समाज से थे, पासी समाज से आते थे या फिर वो राजपूत समाज से थे, इसे लेकर किसी भी तरह की स्पष्ट नहीं है. हालांकि, उन्हें राजभर समुदाय का माना जाने पर राजपूत समुदाय उनका विरोध करता रहा है. मिरात-ए-मसूदी के बाद के जो भी लेखक हुए वो सुहेलदेव को भर, राजभर, बैस राजपूत, भारशिव, पांडववंशी या नागवंशी क्षत्रिय के तौर पर इंगित करते रहे हैं. आर्य समाज व आरएसएस की ओर से हमेशा यही माना जाता रहा है कि सुहेलदेव एक हिन्दू राजा थे, उनकी जाति पर किसी भी तरह का विवाद करना व्यर्थ है. अंग्रेज गजटियर की माने तो सुहेलदेव राजपूत राजा थे जिन्होंने एक संघ बनाया था जोकि 21 राजाओं का था और इस संघ के जरिए वो मुस्लिम बादशाहों से युद्ध करके लड़ाई किया करते थे.