Shravasti: उत्तर प्रदेश में स्थित है गौतम बुद्ध से संबंध रखने वाली एक महान नगरी. एक ऐसी नगरी जहां से ना सिर्फ हमें ज्ञान मिला है बल्कि व्यापार के लिए भी यह नगर एक मुख्य आकर्षण रहा है. हिमालय की तलहटी में बसे सीमावर्ती जिले बहराइच से महज 40 किलोमीटर की दूरी स्थित यह नगर है श्रावस्ती. श्रावस्ती उत्तर प्रदेश के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन समय से महत्ता रखने वाला शहर है. भारत का यह प्राचीन शहर देश में बौद्ध तीर्थयात्रा के लोकप्रिय स्थानों में से एक है. साथ में उत्तर प्रदेश टूर पैकेज में जरूर शामिल होने वाले पर्यटन स्थलों में भी इसका नाम आता है.


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भगवान राम के वंशज
परंपरा के अनुसार राम के बड़े बेटे कुश कौशल के सिंहासन पर बैठे थे. तो वहीं छोटे बेटे लव को राज्य के उत्तरी भाग का शासक बनाया गया था. जिसकी राजधानी श्रावस्ती था. इक्ष्वाकु से 93वीं पीढ़ी और राम से 30 वीं पीढ़ी में बृहद्वल थे. वे यहाम पर इक्ष्वाकु शासन के अंतिम प्रसिद्ध राजा थे. जो महान महाभारत युद्ध में चक्रव्यूह में मारा गया थे.


बौद्ध एवं जैन धर्म के लिए पूजनीय
श्रावस्ती प्राचीन भारत में देश के उन छह बड़े शहरों में से एक था. जहां से बुद्ध ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को प्रसार करना शुरू किया था. यह शहर पश्चिमी राप्ती नदी के तट पर बसा हुआ है. इस शहर को भगवान बुद्ध के बेहद करीब माना जाता है. क्योंकि ऐसा बताया जाता है कि इस शहर में गौतम बुद्ध ने अपने जीवन की 25 साल यहां बिताए थे. इसके अलावा, यह ऐतिहासिक नगरी जैन धर्म में भी काफी महत्वपूर्ण केंद्र बताई जाती है. इसका कारण यहां स्थित शोभनाथ मंदिर को जैन धर्म के लोग तीर्थंकर संभवनाथ का जन्मस्थल के रूप में बताते हैं.


ऐतिहासिक शहर
इसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि इस शहर में बुद्ध ने अपने शिष्यों को लगातार 25 सालों तक उपदेश देकर शिक्षित किया था. शहर में बौद्ध उपदेशों का केंद्र होने की वजह से यहां पर कई भगवान बुद्ध को समर्पित संरचनाओं का निर्माण देखा गया है. निर्माणों में मुख्य रूप से राजा अशोक द्वारा बुद्ध मठ के प्रवेश द्वार पर दो स्तंभों का होना भी शामिल है. 


प्रमुख तीर्थ स्थल
श्रावस्ती में स्थित प्रमुख तीर्थस्थलों में अनाथपिंडिका स्तूप, अंगुलिमाल स्तूप, जेतवन मठ, शोभनाथ मंदिर, विभूति नाथ मंदिर का नाम आता है. इनके साथ यहां पर थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, म्यांमार, तिब्बत और चीन द्वारा निर्मित कई बौद्ध मठ भी बौद्ध तीर्थस्थलों के रूप में जाने जाते है. 


कैसे पहुंचे
- हवाई रास्ते से श्रावस्ती पहुंचने के लिए लखनऊ में स्थित चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे पास है. इसकी श्रावस्ता से दूरी 186 किमी की है. हवाई अड्डे से हैदराबाद, बैंगलोर, मुंबई, नई दिल्ली, कोलकाता, पुणे और अहमदाबाद की सीधी उड़ाने मिलती हैं.
- रेल यात्रा से यहां पहुंचने के लिए बलरामपुर रेलवे स्टेशन सबसे पास है. इसकी दूरी मात्र 20 किमी है. बलरामपुर रेलवे स्टेशन से गोरखपुर, लखीमपुर, गोंडा, लखनऊ, मुंबई, पनवेल, कानपुर, झाँसी, मनमाड, भोपाल और दिल्ली तक जाने वाली ट्रेनों की उपलब्धता आसानी से मिल जाती है. 
- बस के द्वारा श्रावस्ती आने के लिए गोंडा, बलरामपुर, भिनगा और बहराईच बस टर्मिनस कुछ प्रमुख बस डिपो हैं. इन सबकी उत्तर प्रदेश के बाकी सभी प्रमुख शहरों के साथ अच्छी बस कनेक्टिविटी है.


सही समय
यहां यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय सितंबर से नवंबर के बीच सर्दी के दौरान रहता है. इस मौसम में दिन के समय भ्रमण और दर्शनीय स्थलों की यात्रा बहुत अच्छे से होती है. वहीं फरवरी से अप्रैल में भी शहर की यात्रा के लिए अनुकूल समय है. इस समय सड़कें गर्मी से झुलसती नहीं हैं और वसंत की ठंडी हवा चलती है. 


श्रावस्ती महोत्सव 
यहां होने वाला श्रावस्ती महोत्सव सर्दियों के अंत (जनवरी) में मनाए जाने वाले प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रमों में से एक है. चीनी मंदिर के पास आयोजित होने वाले इस महोत्सव की अवधि तीन से पांच दिनों की होती है. उत्सव में विभिन्न स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर अपना लोहा मनवाते हैं. महोत्सव का मुख्य आकर्षण कव्वाली और बॉलीवुड नाइट होती है. इस नाइट में भारतीय फिल्म या संगीत उद्योग की जानी मानी हस्तियां शामिल होती हैं.


रुकने के लिए
उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध विरासत और ऐतिहासिक स्थलों में से एक होने की वजह से श्रावस्ती में हर प्रकार के यात्रियों के लिए अलग-अलग आवास का विकल्प उपलब्ध है. यहां पर लग्जरी, बजट से लेकर सस्ते होटल और धर्मशालाएं आसानी से मिल सकती हैं. 


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