Gorakhpur Shiv Mandir: अब तक आपने कई शिव मंदिरों में दर्शन करने गए होंगे. कई शिव मंदिरों की पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां भी सुनी होगी. कई कहानियों को सुन आप हैरान भी हुए होंगे. मुगलकाल में कई मंदिरों के विध्वंस की कहानियां भी आपसे छिपी नहीं होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा भी शिव मंदिर है जहां शिवलिंग पर कलमा खुदवाया गया है. जी हां ये बिल्कुल सच है. गोरखपुर में एक ऐसा शिव मंदिर है, जिसमें स्थापित शिवलिंग पर उर्दू में '‘लाइलाहइलाल्लाह मोहम्मद उररसूलउल्लाह‘ लिखा हुआ है. हालांकि जिस मकसद से इस शिवलिंग पर कलमा खुदवाया गया वो सैकड़ों साल बाद भी सफल नहीं हुआ. इस मंदिर में आज भी हिन्‍दू श्रद्धालु आते हैं और शिवलिंग पर जलाभि‍षेक करने के साथ दूध और चंदन का लेप भी लगाते हैं. सावन में इस मंदिर का महत्‍व और भी बढ़ जाता है.


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क्रूरता की सारी हदें पार
दरअसल, भारत पर कई मुस्लिम आक्रांताओं ने आक्रमण किया, जिसमें सबसे क्रूर आक्रांताओं में एक महमूद गजनवी भी था. ऐसा माना जाता है कि महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए. गजनवी ने जब भारत पर आक्रमण किया तो क्रूरता की सारी हदें पार कर दी. उसने हिन्‍दुस्‍तान को जमकर लूटा और मंदिरों को ध्‍वस्‍त कर चला गया.


शिव मंदिर का इतिहास
इस म‍ंदिर की महत्ता सावन में और भी बढ़ जाती है. सदियों पुराना यह शिव मन्दिर गोरखपुर से 30 किलोमीटर दूर खजनी कस्‍बे के सरया तिवारी गांव में है. शिव मंदिर में एक शिवलिंग है जो हजारों साल पुराना है. मान्‍यता है कि यह शिवलिंग भू-गर्भ से स्वयं प्रकट हुआ था. जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया, तो यह शिवमंदिर भी उसके क्रूर हाथों से अछूता नहीं रहा. उसने मंदिर को ध्‍वस्‍त कर दिया, लेकिन शिवलिंग को टस से मस नहीं कर पाया. जब गजनवी थक-हार गया, तो उसने शिवलिंग पर उर्दू में 'ला इलाहा इलाल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह' कलमा खुदवा दिया, जिससे कोई हिन्‍दू इसकी पूजा नहीं कर सकें.


मंदिर में है विशाल शिवलिंग
इस शिवलिंग को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इतना विशाल शिवलिंग पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर है. मान्यता है कि शिव के इस दरबार में आकर जो भी भक्‍त अपनी कामना लेकर हाजिरी लगाता है, वो कामना महादेव जरूर पूरी करते हैं. गांववालों का कहना है कि इस मं‍दिर के आसपास के टीलों की खुदाई में जो नर कंकाल मिले, उनकी लम्बाई तकरीबन 12 फीट थी. उनके साथ कई भाले और दूसरे हथियार भी मिले थे, जिनकी लम्बाई 18 फीट तक थी. 


चमत्कारिक है ये शिव मन्दिर
मान्यता है कि यहां पर कई कोशिशों के बाद भी कभी छत नहीं लग पाया है और यहां के शिव खुले आसमान के नीचे ही रहते हैं. मान्‍यता है कि इस मंदिर के बगल में स्थित पोखरे के जल को छूने से एक कुष्‍ठ रोग से पीड़ित राजा का कुष्‍ठ ठीक हो गया था और तभी से लोग चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिये यहां आकर पांच मंगलवार और रविवार स्‍नान करते हैं.


सांप करता है सुरक्षा  
इस शिव मंदिर की अपनी अलग ही विशेषता है. स्थानीय लोगों की मानें तो शिवलिंग पर कई बार लोगों ने एक विषैले सांप को फन फैलाए बैठे हुए देखा है, लेकिन जैसे ही कोई भक्त भगवान भोले की पूजा के लिए आता है सांप वहां से चला जाता है और किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है. गांव वालों की माने तो अगर पुरातत्व विभाग मंदिर के आसपास की खुदाई करे तो निश्चित तौर पर इतिहास से जुड़े और साक्ष्य मिलेंगे.