UP NEWS: महाभारत काल से जुड़ा है यूपी का ये मंदिर,अज्ञातवास के दौरान मिला विजय श्री का आशीर्वाद
यूपी के महाराजगंज में महाभारत काल के पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान माता लेहड़ा देवी के इस स्थान पर आराधना की थी. प्राचीन काल से मंदिर की मान्यता रही है. विश्व भर से दर्शन करने भक्त आते हैं.
अमित त्रिपाठी/महाराजगंज: भारत नेपाल सीमा से सटे महराजगंज में बसी मां लेहड़ा देवी जिनको प्राचीन काल में माता ‘अदरौना देवी थान’ के नाम से जाना जाता था. भवन की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है. इस शारदीय नवरात्रि में माता लेहड़ा के मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है. भारत के साथ-साथ नेपाल से भी यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. ऐसा कहा जाता है, अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां मां की अराधना की और द्रोपदी का आंचल फैलाकर आशीर्वाद मांगा और माँ ने पांडवो को विजय श्री का आशीर्वाद दिया था. मां के दरबार में हाजिरी लगाने से हर पाप मिट जाते हैं.
हर मुराद पूरी होती है
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के फरेंदा तहसील में मां लेहड़ा देवी का भव्य मंदिर स्थित है. इस मंदिर में हर साल लाखों की भीड़ होती है. मां के दरबार की फैली लोकप्रियता के कारण यहां भारत के अनेक राज्यों के साथ-साथ नेपाल से भी काफी संख्या में मां के भक्त आते हैं. यहां पर जो कोई भी सच्चे दिल से मन्नत मांगता है उसकी हर मुराद जरुर पूरी होती है.
हर समय नृत्य होता है.
इस मंदिर में एक प्रथा है, जो भी यहां नर्तकी को अपने आंचल पर नचावत है, उसकी हर मुराद पूरी होती है. इसलिए यहां हर समय नृत्य होता रहता है. शादी विवाह और मुंडन के कार्यक्रम भी यहां होते रहते हैं. मां के दरबार में हाजिरी लगाने से हर पाप मिट जाता हैं. भक्तों की सभी मुरादों को पूरी करती है मां लेहड़ा वाली.
क्यों ली जल समाधि
मान्यता है कई हजार साल पहले यहां एक नदी बहती थी, जहां एक दिन माँ को एक किशोरी के रूप देखा गया था. मां की सुंदरता से आशक्त हो एक नाविक ने उनसे छेड़खानी करनी चाही, जिस पर क्रोधित होकर माँ ने नाविक और नाव के साथ उसी क्षण जल समाधि ले ली. आज भी वह नदी बहती है, नाव के अवशेष दिखते है.
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