लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) को लेकर हाईकोर्ट ने नया फैसला दिया है. आरक्षण सूची को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए, आधार वर्ष को बदलने के आदेश दिए हैं. साथ में ही नई आरक्षण सूची जारी करने के लिए  भी निर्देश दिए हैं. इस आदेश के बाद से प्रत्याशियों के दिमाग में एक बार फिर से दुविधा पैदा हो गई है. सबसे बड़ा सवाल है कि ये आधार वर्ष क्या है और इसके बदलने से आरक्षण सूची पर क्या प्रभाव पड़ेगा. आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब....


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रिजर्वेशन लिस्ट पर क्यों लगाई रोक? किसी सीट को कैसे किया जाता है आरक्षित, जानिए आरक्षण की पूरी प्रक्रिया


क्या है आधार वर्ष?
दरअसल, आधार वर्ष वो वर्ष है, जिसे मानक मानकर चुनाव का आरक्षण तय किया जाता है. अभी जो सूची जारी की गई थी, उसमें साल 1995 को आधार वर्ष माना गया था. इसके हिसाब से 1995 से लेकर 2015 तक पांच चुनावों में जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित थी, वह इस चुनाव में उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी. लेकिन अब जब आधार वर्ष 2015 हो गया है, तो सीट इस वर्ष में जिस वर्ग के लिए आरक्षित थी, वह इस चुनाव में उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी. 


याचिकाकर्ता की क्या थी दलील?
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि 1995 को आधार वर्ष मानने से जो सीट सामान्य होनी चाहिए थी, वो ओबीसी के लिए आरक्षित हो गई. वहीं, जो ओबीसी के लिए आरक्षित होनी चाहिए थी, वो एससी-एसटी के लिए आरक्षित हो गई. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को सही मानते हुए अपना फैसला दिया. 


अब कैसे लागू होगा आरक्षण?
आरक्षण के लिए आधार वर्ष बदला है, प्रक्रिया नहीं. इस चुनाव में रोटेशन या चक्रानुक्रम आरक्षण का ही पालन किया जा रहा है. इसमें इस प्रक्रिया में आज जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, वो अगले चुनाव में उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी. इसके लिए एक तय रोटेशन है. सबसे पहले एससी-एसटी महिला के लिए सीट आरक्षित की जाती है. इसके बाद एससी-एसटी, ओबीसी महिला, ओबीसी, महिला और जनरल के क्रम का पालन किया जाता है. 


वहीं, साल 2011 में हुई जनसंख्या के आधार पर आरक्षण किया जाएगा. ऐसे में अगर किसी ब्लॉक में 100 ग्राम पंचायत हैं और पिछले चुनाव में वहां 27 सीटें पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थीं. अगले चुनाव में 27 के आगे ग्राम पंचायतों की आबादी के अवरोही क्रम में (घटती हुई आबादी) प्रधान पद आरक्षित होंगी. ऐसे ही सभी आरक्षण के लिए होगा. हालांकि, ये देखने को भी मिलता है कि कई बार लोग प्रभुत्व का इस्तेमाल करते हुए धांधली कर लेते हैं. 


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