Assembly by election in UP: लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाली बीजेपी जल्दी ही एक और बड़ी परीक्षा से गुजरने वाली है. यह परीक्षा है प्रदेश में खाली होने वाले 16 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की. पार्टी के लिए इस कसौटी से पार पाना भी एक बड़ी चुनौती है. आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी अपने छह बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने में कामयाब हो चुकी है, इस तरह कुल 16 उपचुनावों के लिए बीजेपी को तैयार रहना चाहिए. 


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16 में से 11 सीटें सपा के पास
16 में से 11 सीटें सपा के पास हैं तो वहीं एनडीए के खेमें से पांच विधायक अब सांसद है. इनमें चार बीजेपी के ही. सपा प्रमुख समेत पार्टी के चार विधायक अब सांसद हैं. ध्यान देना होगा कि एनडीए और इंडिया गठबंधन से चुनाव में उतरे कुल विधायकों की संख्या 14 थी जिनमें से नौ ने चुनाव जीत लिया. आइए इन सीटों की स्थितियों पर एक नजर डालें- 
यूपी में विधायक बने सांसद
सांसद बनने के बाद विधायक पद छोड़ेंगे- 
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव (मैनपुर की करहल विधानसभा सीट से विधायक)
सपा के अवधेश प्रसाद (फैजाबाद की मिल्कीपुर विधानसभा सीट)
सपा के लालजी वर्मा (अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट)
सपा के जियाउर रहमान बर्क (मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट)
भाजपा के अनूप वाल्मीकि प्रधान (अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट)
भजपा के अतुल गर्ग (गाजियाबाद विधानसभा सीट)
भाजपा के प्रवीण पटेल (फूलपुर विधानसभा सीट)
रालोद के चन्दन चौहान (मीरापुर विधानसभा सीट)
निषाद पार्टी के विनोद कुमार बिंद (मिर्जापुर जिले की मझवा विधानसभा सीट)
योगी सरकार के पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर जितिन प्रसाद विधान परिषद सदस्य हैं. योगी सरकार के मंत्री पद को छोड़ दिया. 
एनडीए से अलीगढ़ की खैर सीट से विधायक अनूप प्रधान वाल्मीकि


पचुनाव की चुनौती 
हाल के लोकसभा चुनाव 2024 में लक्ष्य से चूकी बीजेपी मुख्य विपक्षी इंडिया गठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग में पूरी तरह उलझ गई है. दूसरी ओर जो नतीजे आए हैं उससे विपक्षी गठबंधन और विशेषकर यूपी में सपा बेहद उत्साहित दिख रही है. 37 लोकसभा सीटें हाथ में आने पर अब 2027 को लेकर उत्साह पार्टी कमी नहीं लाना चाहेगी. वैसे लोकसभा व विधानसभा चुनावों संबंध मुद्दे और रणनीति के साथ ही वोटिंग पैटर्न एक तब भिन्न होते हैं, वहीं बीजेपी ने कहां चूक की इसका पता लगाने के लिए उसके पास समय है. हालांति उपचुनाव की चुनौती पास है ऐसे में संगठन से लेकर सरकार तक को इसके लिए तैयार रहना होगा ताकि समीकरण को साधा जा सके. 


छह बागी विधायकों का सियासी भविष्य
इसके अलावा सपा पार्टी के छह विधायकों की सदस्यता समाप्त करना चाहती है. इन्होंने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की मदद की थी लेकिन लोकसभा चुनाव में काम नहीं आए जिससे इनकी सियासत मजधार में है. ये विधायक हैं- 
मनोज पांडेय, राकेश पांडेय, 
अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, 
विनोद चर्तुवेदी, पूजा पाल 


हालिया उपचुनाव में बीजेपी
लोकसभा चुनाव के साथ प्रदेश की चार विधानसभा सीटों के लिए भी उपचुनाव कराए गए. दिलचस्प ये रहा कि लखनऊ की पूर्वी, शाहजहांपुर की ददरौल व सोनभद्र की दुद्धी सीटें बीजेपी के पास पहले थी और बलरामपुर की गैंसड़ी सीट सपा के हाथ थी लेकिन उपचुनावों में गैंसड़ी फिर जीतने के साथ ही सपा ने दुद्धी सीट भी बीजेपी से छीनी, इस तरह बीजेपी और सपा के पास दो-दो सीटें आईं.