UP Politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को अकेले अपने दम पर बहुमत मिलते दिख रहा है. पार्टी राज्य की 49 सीटों पर आगे चल रही है. उसे राज्य में सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत है. अगर ट्रेंड बरकरार रहा तो हरियाणा में भी भगवा पार्टी की सरकार होगी. हालांकि यूपी के पड़ोसी राज्य हरियाणा से आ रहे चुनावी नतीजों का असर उसकी खुद की सियासत पर भी पड़ने की उम्मीद की जा रही है. दरअसल इंडिया गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भी इन चुनाव नतीजों का विश्लेषण अपने अपने तरीके से कर रही हैं.


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जो सीटें सपा ने मांगी उस पर कांग्रेस खुद पीछे रही


आपको बता दें कि हरियाणा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने कांग्रेस से हरियाणा में लड़ने के लिए तीन सीटें मांगी थीं लेकिन कांग्रेस ने सपा को मना कर दिया था. हथीन, दादरी और सोहना विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ना चाहती थी. अगर चुनाव नतीजों की बात करें तो कांग्रेस हथीन सीट के अलावा दादरी और सोहना सीट पर बीजेपी से पीछे है.


कांग्रेस ज्यादा मोलभाव नहीं कर सकती


पॉलिटिकल पंडितों का मानना है कि चूंकि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के हाथ कुछ नहीं लगा तो ऐसे में पार्टी यूपी में भी सपा से ज्यादा मोलभाव करने की स्थिति में नहीं है. कांग्रेस को यूपी में सपा को ही बड़ा भाई मानना होगा. आपको बता दें कि यूपी में जल्द ही उपचुनाव होने हैं. लेकिन उपचुनाव में दोनों पार्टियां किन-किन सीटों पर लड़ेंगी फिलहाल इसे लेकर कोई फॉर्मूला तय नहीं हो सका है. कांग्रेस लोकसभा चुनाव की सफलता से जोश में है और अधिक सीटें चाह रही हैं लेकिन सपा भी जमीनी हकीकत जानती है. अखिलेश यादव को पता है लोकसभा चुनाव की बात और थी और विधानसभा की और है.


यूपी विधानसभा में कांग्रेस के सिर्फ 2 विधायक


जानकार कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही यूपी में सपा के कंधों पर चढ़कर कामयाब हो गई लेकिन राज्य विधानसभा स्तर पर पार्टी अभी उतनी कामयाब नहीं हैं. इसलिए सपा इतनी आसानी से कांग्रेस की बात नहीं मान जाएगी. फिलहाल इस समय यूपी विधानसभा में सपा के 105 तो वहीं कांग्रेस के 2 विधायक हैं. आंकड़े से ही पता चलता है कि दोनों के प्रदर्शन में यूपी स्तर पर कितना अंतर है.


कांग्रेस बनकर रह गई दक्षिण की पार्टी


कांग्रेस की इस समय हिमाचल, तेलंगाना और कर्नाटक में खुद की सरकार है. जिसमें से 2 दक्षिण के राज्य हैं और हिमाचल पर्वतीय राज्य है. कांग्रेस की हिंदी पट्टी या उत्तरी भारत पर इतनी मजबूत पकड़ नहीं रह गई है. बात जब यूपी की हो तो यहां तो कांग्रेस की हालत और खराब है.