Caste Census in Uttar Pradesh : बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश में भी मंडल बनाम कमंडल की राजनीति को धार देने की तैयारी में विपक्षी दल जुट गए हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बाद मायावती ने भी जातिगत जनगणना को लेकर आवाज बुलंद की है. निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर भी समर्थन में उतर आए हैं.


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यूपी के मंत्री संजय निषाद ने यूपी में जातिवार जनगणना का समर्थन किया. इसके साथ ही बिहार की जनगणना को गलत ठहराया. मंत्री ने कहा कि जनगणना हो लेकिन इसमें केवट मल्लाह कहां शामिल हैं ये बताया जाए. संजय निषाद ने पश्चिमी यूपी की बयानबाजी पर संगीत सोम का समर्थन किया और कहा कि राज्य भी अलग होने चाहिए और संगीत सोम ने भी सही कहा है.


मायावती ने मंगलवार को कहा कि बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं, जिसको लेकर चर्चा हो रही है. बीजेपी का नाम न लेते हुए मायावती ने कहा कि इससे कुछ दल असहज हो रहे हैं. लेकिन बीएसपी पिछड़ा वर्ग के संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने में आगे रहेगी. बहुजन समाज के पक्ष में नई राजनीति करवट ले रही है. एससी-एसटी आरक्षण को निष्क्रिय और निष्प्रभावी बना दिया गया है. मंडल विरोधी और सांप्रदायिक दल चिंता में पड़ गए हैं. यूपी सरकार को जातीय जनगणना के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए. केंद्र की मोदी सरकार को भी जातिगत जनगणना का ऐलान कर पिछड़ों को उनके हक के लिए प्रयास करना चाहिए. 


वहीं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सीएम योगी को पत्र लिखा है.  इसमें जातिगत जनगणना कराने की मांग की गई है. लल्लू ने कहा कि क्रांतिकारी बदलाव बिना आंकड़ों के संभव नहीं हैं. बिहार ने पूरे देश को रास्ता दिखाया है.


अखिलेश यादव एक दिन पहले ही जातिगत जनगणना को लेकर आवाज बुलंद कर चुके हैं. अखिलेश यादव ने कहा था कि बीजेपी सरकार राजनीति छोड़कर देशहित में जातिगत जनगणना करवाए. यही सामाजिक न्याय का आधार है.


जातिगत जनगणना 85-15 फीसदी का संघर्ष नहीं है, यह सहयोग का नया रास्ता खोलेगी. जो लोग संघर्ष कर रहे हैं, वंचित वर्ग से हैं, उन्हें इससे अधिकार मिलेगा. जातिगत जनगणना देश की तरक्की का रास्ता है. पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा.