लखनऊ : लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन (India Alliance) में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर राजनीतिक बवाल होना तय है. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh), छत्तीसगढ़ (ChhattisgarhP) और राजस्थान (Rajasthan) में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत का सीधा असर इंडिया गठबंधन पर पड़ता दिख रहा है. इससे कांग्रेस पर अब इंडिया के दूसरे सहयोगी दलों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है.


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इसी कड़ी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रवक्ता फ़ख़रूल हसन चाँद ने कहा है कि ''कांग्रेस के गलत फ़ैसलों से कांग्रेस हारी है. इंडिया गठबंधन की एकता का संदेश कमजोर हुआ है. इसलिए भाजपा समय से पहले चुनाव कराना चाहती है.  समाजवादी पार्टी कांग्रेस को केवल दो सीट दे सकती है जो कांग्रेस समाजवादी के सहयोग से जीत सकती है. इससे अधिक सीट देना भाजपा की मदद करना होगा. समाजवादी पार्टी भाजपा को पूरे देश में हराना चाहती है.'' फिलहाल भले ही कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई हो लेकिन दोनों ही दलों के बीच गठबंधन के लिहाज से इसे अच्छा नहीं माना जाएगा. 


कमलनाथ ने बिगाड़ा खेल
सपा और कांग्रेस के बीच तल्खी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान ही देखने को मिली थी. सपा ने यहां कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कही थी, लेकिन कमलनाथ के तल्ख तेवर की वजह से सपा ने कांग्रेस से दूरी बनाना ही ठीक समझा. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के तहत 7 सीटों की मांग की थी. लेकिन कांग्रेस की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया था कि यह गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव (Loksabha 2024) के लिए हैं. इसके बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में खूब जुबानी जंग देखने को मिला था. इससे पहले भी सपा और बसपा की तरफ से अमेठी और रायबरेली में प्रत्याशी नहीं उतारे गए थे. 


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सफल नहीं रहा गठबंधन
इससे पहले 2017 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी 298 सीटों पर और कांग्रेस शेष 105 सीटों पर गठबंधन कर चुनाव लड़ी थी. लेकिन 10 जनवरी 2018 को अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने का एलान किया था. चुनाव परिणाम के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार 2017 में बनी.  2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की दो सबसे बड़ी सियासी अदावत वाली पार्टियों सपा-बसपा ने हाथ मिला लिया था. लेकिन गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली. 


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