Adani Hindenburg Case: अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने बाकी दो मामलों में सेबी को तीन माह के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद में शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले के तथ्यों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि जांच विशेष जांच दल या अन्य एजेंसियों को सौंपी जानी चाहिए.



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गौतम अदाणी ने इसे सत्य की जीत करार दिया है. उन्होंने कहा कि इस कठिन घड़ी में जो लोग भी उनके साथ खड़े रहे, उनका वो तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हैं. गौरतलब है कि अडाणी हिंडनबर्ग केस में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इनमें सेबी की जांच पर सवाल उठाए गए थे. हालांकि सरकार और अडाणी ग्रुप की ओर से इसका विरोध किया गया था. 


दरअसल, दिग्गज कंपनियों के अंदरूनी कामकाज की जांच कर घोटालों के खुलासे का दावा करने वाले हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप ऑफ कंपनीज पर संगीन आरोप लगाए थे. इसमें गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप शामिल थे. इसके बाद अडाणी समूह के शेयर औंधे मुंह गिरे थे. इन मामलों की जांच भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक आयोग यानी सेबी कर रही है, जो शेयर बाजार से जुड़े मामलों की निगरानी करती है. 


हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तमाम दलीलों को सुनने के बाद कहा है कि उसे सीबीआई या एसआईटी जांच के दखल की आवश्यकता महसूस नहीं होती. बाजार नियामक को इस मामले में जांच तीन माह में पूरी करने का निर्देश जरूर अदालत ने दिया.


सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने यह निर्णय सुनाया. इस बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने की थी. हिंडनबर्ग ने पिछले साल अडाणी ग्रुप पर जब वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, तो विपक्ष ने संसद नहीं चलने दी. अडाणी का देश में सेब से लेकर एयरपोर्ट तक बड़ा कारोबार है. एफएमसीजी क्षेत्र में भी अडाणी समूह का फार्च्यून नाम से दबदबा है.