स्वामी प्रसाद मौर्य को हाईकोर्ट से झटका, रामचरित मानस की प्रतियां जलाने के केस में 10 साल सजा संभव
Swami Prasad Maurya: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से तगड़ा झटका लगा है. रामचरित मानस की प्रतियां जलाने के केस में उनकी याचिका खारिज कर दी गई है.
Swami Prasad Maurya: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से तगड़ा झटका लगा है. रामचरित मानस की प्रतियां जलाने के केस में उनकी याचिका खारिज कर दी गई है. उत्तर प्रदेश में रामचरित मानस की प्रतियां जलाने के मामले में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को बड़ा झटका लगा है. HC की लखनऊ बेंच ने की स्वामी प्रसाद मौर्य की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. उनकी FIR-चार्जशीट खारिज करने को लेकर दायर स्वामी की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी. जस्टिस विद्यार्थी ने लताड़ लगाते हुये स्वामी की याचिका खारिज की.कोर्ट ने श्री रामचरितमानस ग्रंथ से अभद्रता पर याचिकाकर्ता को जमकर लताड़ा.सरकार की तरफ़ से AAG विनोद शाही और शासकीय अधिवक्ता VK सिंह ने पक्ष रखा.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने लंबे समय से रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को लेकर मोर्चा खोल रहा है. वो लगातार इसके बहाने हिन्दू धर्म ग्रंथों, वर्ण व्यवस्था और जातीय भेदभाव का मुद्दा उठाकर सियासी माहौल गरमाने की कोशिश कर रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के कुछ समर्थकों ने रामचरित मानस की प्रतियां भी जलाई थीं. इसके खिलाफ हिन्दू संगठनों, धर्म गुरुओं और संतों ने आवाज उठाई थी. संत समाज को भी आतंकी, जल्लाद बता चुके स्वामी प्रसाद मौर्य से मारपीट की घटना भी एक समारोह में हो चुकी है. महंत राजू दास के साथ उनकी हाथापाई की घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था.
स्वामी अपने बयानों के बहाने बीजेपी के हिन्दुत्व यानी कमंडल के मुकाबले मंडल की राजनीति को फिर से गरमाने की कोशिश कर रहे हैं. अखिलेश यादव ने चुप्पी साध कर उन्हें परोक्ष समर्थन दे रखा है. सपा यूपी में जातीय जनगणना के मुद्दे को भी हवा दे रही है.हालांकि बीजेपी हिन्दुत्व के मुद्दे को धार देते हुए पलटवार कर रही है.
कानूनी जानकारों का कहना है कि अगर स्वामी प्रसाद मौर्य पर आरोप साबित हो गए तो जातीय विद्वेष भड़काने या सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल बिगाड़ने जैसे आरोपों को लेकर उन्हें दस साल तक की सजा हो सकती है.
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