भाजपा कोर कमेटी की शुक्रवार शाम को हुई बैठक कई घंटों के महामंथन के बाद खत्म हुई. सूत्रों के अनुसार, बैठक में एमएलसी की एक सीट पर होने वाले चुनाव पर चर्चा हुई. चुनाव प्रचार में जान झोंकने वाले संगठन के नेताओं और कार्यकर्ताओं को निगम, आयोग और विभिन्न बोर्ड में एडजस्ट करने को लेकर चर्चा हुई. विधानसभा के उपचुनावों को लेकर तैयारियों पर भी चर्चा हुई.संगठन और सरकार के तालमेल से जनता तक योजनाओं की जानकारी पहुंचाने पर भी रणनीति बनी.  


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उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी हार के बाद ये बैठक बेहद अहम मानी जा रही है. भाजपा को महज 33 और सपा-कांग्रेस गठबंधन को 43 सीटें मिली हैं. बीजेपी हार की समीक्षा को लेकर तीन स्तरों पर रिपोर्ट भी तैयार करा रही है. इसमें मंडल स्तर की रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है. दूसरी रिपोर्ट में लोकसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों ने खुद अपनी समीक्षा करके भेजी है. जबकि तीसरे स्तर पर एक टॉस्कफोर्स बनाई गई है, जो विभिन्न जिलों में जाकर स्वतंत्र तौर पर राय लेकर रिपोर्ट तैयार कर रही है. इसमें संबंधित जिले के प्रत्याशियों और बड़े पदाधिकारियों को अलग रखा गया है. 


बीजेपी की हार के बाद दिल्ली में भी अलग अलग स्तरों पर भी बैठकें हो चुकी हैं. पूर्वांचल में बीजेपी ने इस बार काफी सीटें गंवाई हैं. पिछली बार कम अंतर से जीती सीटों को भाजपा बरकरार नहीं रख सकी. अखिलेश यादव का पीडीए यानी पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक का फार्मूला चुनाव में हिट साबित हुआ. यूपी में जल्द ही दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. ऐसे में बीजेपी ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट औऱ अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट आदि उसके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई हैं.