UP Byelection 2024: यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग हो चुकी है. मतदाताओं ने ईवीएम में प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला कैद कर दिया. कुंदरकी में सबसे ज्यादा 57.32 फीसदी वोट पड़े तो गाजियाबाद में सबसे कम 33.30 प्रतिशत वोटिंग हुई. ऐसे में सियासी गुणा-गणित लगना शुरू हो गया है कि कम या ज्यादा मतदान किस दल के लिए फायदेमंद और नुकसानदायक रहा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सीसामऊ
सीसामऊ सीट पर उपचुनाव में 49.03 फीसदी वोटिंग हुई. यहां 50 फीसदी के आसपास वोटिंग बीजेपी के लिए परेशानी का सबस बनी है. 2012 में यहां 51.95 फीसदी वोट पड़े. चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. ऐसा ही कुछ 2017 और 2022 विधानसभा चुनाव में हुआ जब यहां 56.65 और 56.85 फीसदी वोट पड़े. यहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. जबकि सपा की साइकिल दौड़ी. 2007 में जब यहां 34.73 फीसदी वोटिंग हुई तो कांग्रेस जीती थी.


करहल
करहल सीट पर इस बार 53.92 फीसदी मतदान हुआ. यह 2022 के मुकाबले करीब 12 फीसदी कम है. तब यहां अखिलेश यादव चुनावी मैदान में थे, यहां 66 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले थे. इस सीट पर सपा से तेज प्रताप यादव और बीजेपी से अनुजेश यादव समेत 7 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस सीट को सपा की सेफ सीटों में गिना जाता है. सीट पर सीधा मुकाबला सपा-बीजेपी में है. जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह 23 नवंबर को ही पता चल पाएगा.


कुंदरकी
कुंदरकी सीट पर 2012, 2017 और 2022 विधानसभा चुनाव में 70 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं ने वोटिंग की थी. तीनों बार यह सीट सपा के खाते में गई.  कटेहरी में इस बार 56.69 प्रतिशत मतदान हुआ. कम वोटिंग ने राजनीतिक दलों के माथे पर सिकन डाल दी है. 2022 में यहां सपा के जियाउर्रहमान बर्क जीते थे.  इस बार बीजेपी ने रामवीर सिंह को उतारा. जबकि बाकी प्रमुख दलों ने मुस्लिम प्रत्याशी दिए. यहां कांटे की लड़ाई देखने को मिल सकती है.


मीरापुर
मीरापुर सीट पर इस बार 57.02 प्रतिशत मतदान हुआ. इससे पहले यहां 2022 में 68.7 प्रतिशत, 2017 में 69.5 प्रतिशत और 2012 में 61.8 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.


मझवा
मझवा सीट पर इस बार 50.41 प्रतिशत वोटिंग हुई. 2022 में यहां 60.3 प्रतिशत वोटिंग हुई, तब यहां निषाद पार्टी जीती थी. 2017 में यहां 63.8 प्रतिशत मतदान हुआ तब बीजेपी ने जीत दर्ज की.  इससे पहले 2012 में यहां 63.2 प्रतिशत वोट पड़े थे तब बसपा ने परचम लहराया था.


खैर
खैर सीट बीजेपी की सेफ सीटों में गिनी जाती है. इस बार यहां 46.43 प्रतिशत मतदान हुआ. जो 2022 के मुकाबले 14 फीसदी कम है. तब यहां 61.9 प्रतिशत मतदान हुआ था और बीजेपी का कमल खिला. 2017 में यहां बीजपी जीती. यहां 61.8 प्रतिशत वोट पड़े और 2012 में 59.2 प्रतिशत मतदान हुआ था. रालोद ने चुनाव जीता था.


फूलपुर
फूलपुर में इस बार 43.43 प्रतिशत वोटिंग हुई. इससे पहले 2022 में यहां 60 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2017 में 58.8 प्रतिशत मतदान हुआ दोनों चुनाव मं बीजपी के खाते में यह सीट गई. इससे पहले 2012 में यहां 59.9 फीसदी वोट पड़े तब सपा की साइकिल दौड़ी थी.


कटेहरी
कटेहरी सीट पर उपचुनाव में 56.69 प्रतिशत वोट पड़े. इससे पहले तीन चुनाव में यहां 60 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था. 2022 में सपा, 2017 में बसपा तो 2012 में यहां सपा ने जीत दर्ज की थी.


गाजियाबाद
गाजियाबाद में सबसे कम 33.30 फीसदी वोट पड़े. 2022 चुनाव में यहां 61 फीसदी मतदान हुआ था. तब यहां बीजेपी से अतुल गर्ग ने सपा के विशाल वर्मा को शिकस्त दी थी. लेकिन इस बार कम मतदान से वोटों का हिसाब लगना मुश्किल हो रहा है. सपा को इस सीट पर एकमात्र जीत 20 साल पहले 2004 में उपचुनाव में मिली थी. हार-जीत का मार्जिन कम भले हो लेकिन यह सीट बीजेपी के खाते में जा सकती है.


यूपी उपचुनाव में Exit Poll में कौन मार रहा बाजी? देखें BJP और SP को कितनी सीटें


यूपी उपचुनाव की नौ सीटों पर किसकी जीत किसकी हार, फलोदी सट्टा बाजार के दावे चौंकाने वाले