चुनाव से पहले सीएम बदलो और फिर देखो कमाल! हरियाणा में भी चल गया उत्तराखंड फॉर्मूला
Uttarakhand: जुलाई 2021 में उत्तराखंड में बीजेपी ने अपना सीएम बदल दिया था. उस समय पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी को सरकार की बागडोर सौंपी थी. पार्टी ने ऐसा तब किया जब अगले साल चुनाव सिर पर थे. चुनाव से पहले सीएम बदलने का फॉर्मूला पार्टी ने वहीं से सीखा और यह उसके लिए कारगर भी साबित हुआ.
Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजे राज्य में बीजेपी सरकार की हैट्रिक की ओर इशारा कर रहे हैं. पार्टी अपने बूते बहुमत हासिल करती दिख रही है. राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को अकेले 48 सीटें मिलती दिख रही हैं. हरियाणा में बीजेपी की जीत ने एक बार फिर से पार्टी के उत्तराखंड फॉर्मूले को चर्चा में ला दिया है. आप भी सोचकर हैरान होंगे कि आखिर हरियाणा चुनाव में उत्तराखंड फॉर्मूला कैसे आ गया. चलिए आपको बताते हैं .
चुनाव से पहले सीएम बदलने का फॉर्मूला
इस साल मार्च में बीजेपी ने हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के लिए नायाब सिंह सैनी को चुना. चुनाव में 6 महीने थे तब जाकर पार्टी ने यह फैसला लिया और अपने 10 साल पुराने सीएम को बदल दिया. बाद में मनोहर लाल खट्टर केंद्र की राजनीति में आए. दरअसल बीजेपी ने यह पैंतरा उत्तराखंड से सीखा है.
उत्तराखंड में क्या हुआ था
जुलाई 2021 में उत्तराखंड में बीजेपी ने अपना सीएम बदल दिया था. उस समय पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी को सरकार की बागडोर सौंपी थी. पार्टी ने ऐसा तब किया जब अगले साल चुनाव सिर पर थे. चुनाव से पहले सीएम बदलने का फॉर्मूला पार्टी ने वहीं से सीखा और यह उसके लिए कारगर भी साबित हुआ. यह हथकंडा बीजेपी के लिए गुजरात में भी कारगर रहा. यहां चुनाव से एक साल पहले विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाया गया. जिसके बाद 2022 में पार्टी फिर राज्य सरकार में लौटी.
बीजेपी की यह रणनीति त्रिपुरा चुनाव में भी फायदेमंद साबित हुई थी. यहां मई 2022 में पार्टी ने सीएम चेहरा बदला और माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया.अगले साल चुनाव हुए और पार्टी फिर सत्ता में आ गई.