Janeshwar Mishra Jayanti 2024: क्या मुलायम क्या अखिलेश यादव, समाजवाद की बात शुरू होते ही छोटे लोहिया कहे जाने वाले जनेश्वर मिश्र का जिक्र जरूर किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि समाजवादी नेता का नाम छोटे लोहिया पड़ने की दिलचस्प कहानी है. आइए जानते हैं जनेश्वर मिश्र पर समाजवाद का प्रभाव और उनका सियासी सफर कैसा रहा. 


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लोहिया के निजी सजिव
मिश्र ने राम मनोहर लोहिया के साथ लंबा समय गुजारा, वह उनके निजी सचिव भी थे. इसी वजह से लोहिया के विचारों की उन पर गहरी छाप पड़ी. लोहिया का जब देहांत हुआ तो इलाहाबाद में एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया, जिसमें खूब भीड़ उमड़ी. इसी सभा में समाजवादी नेता छुन्नु ने कहा जनेश्वर मिश्र में लोहिया की छवि देखने को मिलती है, उनके गुण लोहिया जैसे हैं. इस तरह से वह वह छोटे लोहिया हैं. इसके बाद उनका नाम छोटे लोहिया पड़ गया और लोग उन्हें इसी नाम से ही बुलाया जाने लगा.


देश में छाया बलिया का लाल 
5 अगस्त 1933 में जनेश्वर मिश्र का जन्म यूपी के बलिया जिले के शुभ नाथहि गांव में हुआ. उनके पिता रंजीत मिश्रा और मांत बासमती थीं. छात्र जीवन से ही जनेश्वर मिश्र पर जेपी नारायण और डॉ राम मनोहर लोहिया का खास प्रभाव पड़ा. वह जय प्रकाश के सर्वोदय आंदोलन में जाने के बाद लोहिया ने समाजवादी आंदोलन और संघर्ष की कमान संभाली तब से जनेश्वर मिश्र पूरी तरह से डॉ. लोहिया के ही साथ हो गए.


राजनीतिक पारी 
जनेश्वर मिश्र पर लोहिया के साथ राज नारायण का भी गहरा प्रभाव पड़ा. उन्होंने युवाओं को समाजवादी विचार और संघर्ष से जोड़कर राजनीति में सक्रियता दी. जनेश्वर मिश्र की राजनीतिक पारी दाओबा इंटर कॉलेज से शुरू हुई, इसेक बाद वह  समाजवादी युवजन सभा में शामिल हुए और बाद में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के संपर्क में आए.  साल 1969 में छोटे लोहिया पहली बार फूलपुर से सांसद बने. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता केडी मालवीय को शिकस्त दी थी. वह चार बार लोकसभा सांसद बने जबकि तीन बार 1996, 2000 और 2006 में राज्यसभा के सांसद रहे. 


अखिलेश को सिखाए राजनीतिक गुर
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को जनेश्वर मिश्र से राजनीतिक गुर सीखने की बात कही थी. सपा प्रमुख कई मंचों से इसका जिक्र कर चुके हैं कि जनेश्वर मिश्र जैसी ट्रेनिंग उनको कहीं नहीं मिली. 


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