Parliament special session 2023: मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाकर बड़ा कदम उठाया है. मगर संसद के विशेष सत्र का एजेंडा घोषित नहीं होने से अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं. इसमें लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराए जाने से जुड़ा बिल लाए जाने की संभावना को सबसे प्रबल माना जा रहा है. लेकिन समान नागरिक संहिता और महिला आरक्षण विधेयक पारित कराए जाने जैसी संभावनाएं भी जताई जा रही हैं.  


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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि महिला आरक्षण विधेयक पर कांग्रेस, राजद, जेडीयू, डीएमके, समाजवादी पार्टी जैसे दल अलग-अलग पाले में खड़े नजर आ सकते हैं. पिछली बार महिला आरक्षण बिल कांग्रेस लेकर आई थी और राजद-सपा जैसे दलों ने संसद में भारी हंगामा किया था. यह विधेयक INDIA के चुनावी गठबंधन का आकार लेने के पहले ही उसे ध्वस्त कर सकता है.  


वन नेशन वन इलेक्शन बिल
वन नेशन वन इलेक्शन का बिल लाकर सरकार देश में हर छह महीने में होने वाले चुनावों की कवायद पर विराम लगा सकती है. पूरे देश में एक साथ चुनाव होने से चुनाव आयोग का भारीभरकम खर्च भी बचेगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी वन नेशन वन इलेक्शन की कवायद का स्वागत किया है. सीएम ने इसे समय की आवश्यकता बताया है. विपक्षी नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, समाजवादी पार्टी जैसे कई दल इसके विरोध में उतर आए हैं. 


समयपूर्व चुनाव कराएगी सरकार
केंद्र सरकार ने जो पांच दिन का संसद का विशेष सत्र बुलाया है, उसे मौजूदा मोदी सरकार के लोकसभा के कार्यकाल का आखिरी सत्र भी बताया जा रहा है. इससे पहले अटल विहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा समय पूर्व चुनाव कराए गए थे. हालांकि इंडिया शाइनिंग का नारा चल नहीं पाया और बीजेपी की जगह यूपीए सत्ता में आया.


समान नागरिक संहिता
संसद के विशेष सत्र के दौरान समान नागरिक संहिता से जुड़ा बिल लाने के भी कयास लगाए जा रहे हैं. बीजेपीशासित उत्तराखंड में पहले ही कॉमन सिविल कोड पर विशेष समिति अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है.विधि आयोग भी यूसीसी के पक्ष में आम राय मांग चुका है. 


महिला आरक्षण विधेयक
संसद में महिला आरक्षण विधेयक भी दो दशक के लंबे समय से अटका है. राज्यसभा में यह बिल पारित भी हो चुका था, लेकिन लोकसभा में बहुमत को लेकर मामला अटका है. बीजेपी महिला आरक्षण बिल पास कराके मास्टर स्ट्रोक चल सकती है. यह सीधे 50 फीसदी आबादी को लुभाने का बड़ा प्रयास होगा. राजद, सपा जैसे क्षेत्रीय दल और पारिवारिक राजनीति करने वाले दल इसका भारी विरोध करते रहे हैं.


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