Train Late : अगर ट्रेन लेट है तो रेलवे से मुआवजा मांग सकता है यात्री, कोहरे के बीच देरी से चल रही हैं दर्जनों रेलगाड़ियां
Train Late : कोहरे और भीषण ठंड के बीच रेलवे की दर्जनों रेलगाड़ियां समय से काफी ज्यादा देरी से चल रही हैं. अगर ट्रेन लेट है और उससे रेलयात्री को नुकसान होता है तो वो मुआवजे का हकदार है.
Train Late List : अगर आपकी ट्रेन लेट होती है तो आप भी चाहें तो इंडियन रेलवे (Indian Railway) से मुआवजा मांग सकते हैं. मौसम की मार के कारण इस वक्त भारतीय रेलवे की दर्जनों ट्रेनें 10 से 12 घंटे लेट चल रही हैं. दिल्ली हावड़ा रूट (Delhi Howrah Route) पर लंबी दूरी की ट्रेनों का तो और बुरा हाल है. ट्रेन लेट (Train Running Late) होने से रेलयात्री बुरी तरह परेशान हैं, किसी की परीक्षा छूट रही है तो किसी की फ्लाइट. तो कोई समय पर अपनी नौकरी पर नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर रेलयात्री को ट्रेन लेट होने से किसी प्रकार का नुकसान पहुंचता है तो क्या वह रेलवे से हर्जाना (Compensation) मांग सकता है, जी हां ये सही है.
अगर ट्रेन लेट होती है तो प्रभावित रेलयात्री उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) के जरिये रेलवे से मुआवजे की मांग कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी सितंबर 2021 में एक दूरगामी फैसला दिया था. अदालत ने कहा था कि रेलवे ट्रेन के देरी से आने की ठोस वजहें अगर सामने नहीं रखती है और इसके पीछे लापरवाही सामने आती है तो रेलयात्री मुआवजे का हकदार है. अगर ट्रेन की लेटलतीफी की वजह असामान्य कारणों से होती है तो ट्रेन की देरी पर रेलवे को मुआवजे का भुगतान करना पड़ सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2021 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक आदेश को सही ठहराते हुए ये निर्णय दिया था. इस केस में ट्रेन की देरी पर उत्तर पश्चिम रेलवे को पीड़ित यात्री को 35000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया था. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने अलवर के जिला उपभोक्ता फोरम के मूल आदेश को सही ठहराया था.इस आदेश को रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में रेलवे ने कहा था कि ट्रेन के देरी से चलने पर सेवा में कमी नहीं माना जा सकता. ट्रेन के लेट होने पर रेलवे की किसी तरह के मुआवजा देने की जिम्मेदारी नहीं होगी. ट्रेन के देरी से चलने और देरी से मंजिल पर पहुंचने की कई वजहें हो सकती हैं.लेकिन शीर्ष न्यायालय ने इन दलीलों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ट्रेन देरी से पहुंचने का रेलवे के पास कोई उचित ठोस आधार नहीं है तो यात्री मुआवजा पाने का हकदार है.
इस केस में एक रेलयात्री ने अजमेर-जम्मू एक्सप्रेस ट्रेन 4 घंटे से भी ज्यादा लेट होने पर उपभोक्ता फोरम में केस दायर किया था. इस कारण उसकी जम्मू-श्रीनगर फ्लाइट छूट गई थी और उसे कैब बुक करके यात्रा करनी पड़ी. उपभोक्ता फोरम ने रेलवे को देरी के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया था.यही आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने भी कायम रखा था.
जनवरी 2019 में भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के लेट होने पर मुआवजा देने का एक ऑफर भी जारी किया था. लेकिन सिर्फ नई प्राइवेट रेलगाड़ी तेजस सीमित रखा था.आईआरसीटीसी (IRCTC) को तेजस एक्सप्रेस (Tejas Express) चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी. ये रेलगाड़ी दिल्ली लखनऊ मार्ग पर और दूसरी अहमदाबाद से मुंबई सेंट्रल के बीच चल रही है. इस भारतीय रेल के लेट होने पर रेलयात्री रिफंड मांग सकते हैं. इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (Indian Railway Catering and Tourism Corporation) रेलवे में खानपान, पर्यटन और ऑनलाइन टिकट की जिम्मेदारी संभालती है. रेलवे का कहना है कि धीरे-धीरे वो मुआवजे की व्यवस्था दूसरी प्रीमियम ट्रेनों में भी लागू करेगा.
कोहरे और भीषण ठंड के बीच रेलवे की शताब्दी एक्सप्रेस (Shatabdi Express) , राजधानी एक्सप्रेस(Rajdhani Express) , हमसफर एक्सप्रेस (Hamsafar Express) ही नहीं वंदेभारत जैसी ट्रेनें भी काफी लेट चल रही हैं. जबकि सामान्य एक्सप्रेस ट्रेनों का तो कोई पुरसाहाल नहीं है. रेलयात्री अपनी ट्रेनों के इंतजार में 10-12 घंटे रेलवे स्टेशन पर भीषण ठंड के बीच बिता रहे हैं.
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