Monsoon 2023 Prediction: यूपी समेत समूचा देश सूखे की चपेट में आ सकता है. यहां मानसून सीजन की बारिश पर अल नीनो का प्रभाव पड़ सकता है. अल नीनो के प्रभाव के चलते बारिश सामान्‍य से काफी कम होने की संभावना है. इससे खेती किसानी में भी असर पड़ेगा. एक रिपोर्ट में मौसम वैज्ञानिकों ने ये दावे किए हैं. 


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मौसम वैज्ञानिकों ने जताई चिंता 
दरअसल, मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार मानसून पर मौसमी प्रभाव अल नीनो का खतरा मंडरा रहा है. इसके चलते यूपी समेत देशभर के सभी राज्‍यों में सामान्‍य से काफी कम बारिश होने की संभावना है. वहीं, तापमान ज्‍यादा बढ़ने पर इसका असर फसलों पर भी देखने को मिलेगा. 


पहले समझे क्‍या है अल नीनो 
दरअसल, भूमध्‍यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्‍न हवा का दबाव होने पर जो स्थिति पैदा होती है, उसे अल नीनो कहा जाता है. इसकी उत्‍पत्ति के कई कारण हो सकते हैं. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर पड़ता है. यही कारण होता है कि तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है. इसका असर दक्षिण-पश्चिम मानसून पर पड़ता है. 


मई-जुलाई माह के बीच दिख सकता है असर 
मौसम वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि अल नीनो का असर मई-जुलाई माह के बीच देखने को मिल सकता है. क्‍योंकि यह अवधि गर्मी और मानसून के मौसम को जोड़ती है. मानसून जून से सितंबर के बीच सक्रिय रहता है. मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि जब मौसमी प्रभाव अल नीनो होता है तो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर गर्मी को सोख लेता है और पानी का तापमान बढ़ता है. यह गर्म पानी अल नीनो के प्रभाव के दौरान पश्चिमी प्रशांत सागर से पूर्वी प्रशांत तक प्रवाहित होता है. 


पुराने आंकड़ों पर डालें नजर 
अगर आंकड़ो पर नजर डालें तो पता चलता है कि अल नीनो के असर के चलते कम बारिश होती है लेकिन यह तय नहीं है. इससे पहले 1997 में ताकतवर अल नीनो के बावजूद सामान्य से ज्यादा बारिश हुई थी. वहीं,  2004 में कमजोर अल नीनो के बावजूद गंभीर सूखा पड़ा था. बता दें कि अल नीनो का पूर्वानुमान 9 महीनों के लिए उपलब्ध है. 


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