लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया मुलायम सिंह यादव के इनकार के बाद बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू), पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और दलित जनाधार वाले बीएस-फोर ने सोमवार को गठबंधन करते हुए राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव साथ लड़ने का एलान किया।


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रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित सिंह ने जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव, महासचिव के. सी. त्यागी तथा बीएसफोर के नेता बचान सिंह यादव के साथ संयुक्त प्रेसवार्ता में इसका एलान करते हुए कहा कि यह गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव में लगभग सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगा।


उन्होंने बताया कि फिलहाल इस गठबंधन का कोई नाम नहीं है लेकिन यह ईमानदार गठबंधन होगा। फिलहाल यह तीन पार्टियों का गठजोड़ है, मगर कई अन्य छोटे दलों से बातचीत की जा रही है। सभी घटक दलों के अगुवा इस गठबंधन के नेता होंगे। सिंह ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि भाजपा के खिलाफ सभी लोहियावादियों और चरणसिंहवादियों को एकजुट करने की कोशिश के तहत बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के बाकी सभी दल खुद को सपा में विलीन करने को तैयार हो गये थे, लेकिन तब सपा ने ही इनकार कर दिया था। अब सपा के साथ गठबंधन की बात हो रही थी, तब मुलायम विलय की बात कर रहे हैं।


उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्या कारण है कि मुलायम साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ कोई गठबंधन नहीं बनने देना चाहते। जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने इस मौके पर कहा कि हम लोग लम्बे समय से व्यापक एकता को लेकर कोशिश कर रहे थे। इसके लिये मुलायम को नेता के रूप में खड़ा किया गया था लेकिन बात नहीं बनी। मुलायम के कहने पर वह अपनी पार्टी का सपा में विलय जरूर करते, मगर अब इसके लिये वक्त नहीं है।


यादव ने कहा कि सपा मुखिया के बुलावे पर वह, रालोद अध्यक्ष अजित सिंह, राजद अध्यक्ष लालू यादव और जनता दल सेक्युलर के प्रमुख एच. डी. देवेगौड़ा गत पांच नवम्बर को सपा के रजत जयन्ती समारोह में गये थे। उस वक्त ऐसा लगा कि गठबंधन का सिलसिला शुरू हुआ है लेकिन बात फिर नहीं बनी। उन्होंने कहा कि वह जनता से अपील करते हैं कि नया गठबंधन उत्तर प्रदेश की राजनीति को सही रास्ते पर लाना चाहता है, लिहाजा वह इसका सहयोग करें।


जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के. सी. त्यागी ने इस अवसर पर कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन में शामिल दलों ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की हर बात मानी थी, लेकिन इसके बावजूद वह गठजोड़ से अलग हो गये। उन्होंने कहा कि अब नये सिलसिले के तहत मुलायम ने अजित और शरद से सीटों के बंटवारे को लेकर बात की लेकिन फिर विलय की बातें करने लगे।


नवगठित गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल किये जाने की सम्भावना के बारे में पूछे जाने पर अजित ने कहा कि अभी इस बारे में कांग्रेस से कोई बात नहीं हुई है। मालूम हो कि गत पांच नवम्बर को सपा के रजत जयन्ती समारोह में पार्टी मुखिया मुलायम के बुलावे पर रालोद अध्यक्ष अजित सिंह, जदयू नेता शरद यादव, राजद अध्यक्ष लालू यादव और जनता दल सेक्युलर के प्रमुख एच. डी. देवेगौड़ा ने शिरकत की थी। उस वक्त ऐसा लगा था कि विधानसभा चुनाव से पहले सपा की अगुवाई में महागठबंधन बनेगा। मुलायम की अजित और शरद यादव के साथ बातचीत से उम्मीदें परवान चढ़ते देखी गयीं, लेकिन सपा मुखिया ने गत 10 नवम्बर को मीडिया से साफ कहा कि सपा किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। अगर कोई पार्टी सपा में विलय करना चाहती है तो वह तैयार हैं।