Transgender: हमारी प्रकृति में महिला और पुरुष के अलावा एक जेंडर और होता है. जिसे किन्नर, हिजड़ा या ट्रांसजेंडर कहते हैं. किन्नर या हिजड़ा ना तो पूरी तरह महिला होता है और ना ही पूरी तरह पुरुष. इनके गुप्तांग भी इनकी पहचान सुनिश्चित नहीं करते. कई बार इनकी वेश भूषा महिला जैसी होती है और गुण पुरुषों जैसे.और कई बार पुरुषों के रूप में इन्हे महिलाओं जैसा व्यवहार करते देखा जाता है. किन्नरों को देखकर एक सवाल सबके मन में उठता है कि इनका जन्म कैसे होता होगा. पति पत्नी ऐसी क्या गलती करते हैं कि कुदरत लड़के या लड़की की जगह गर्भ में किन्नर बना देती है. 


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हमारे पुराणों और शास्त्रों में भी किन्नरों के बारे में लिखा हुआ है. यहां तक कि उर्वशी के श्राप के कारण एक बार अर्जुन भी हिजड़ा बन गए थे. इसलिए अज्ञातवास के समय कोई भी उनको पहचान नहीं सका. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य, चंद्रमा, मंगल,और लग्न से गर्भधारण होता है. यदि गर्भ धारण करते समय बच्चे की कुंडली में आठवें घर में शुक्र और शनि विराजमान हो और उन्हें वृहस्पति और चंद्रमां  नहीं देख पाता है तो भ्रूण नपुंसक हो जाता है और उसका जन्म किन्नर के रूप में होता है. 


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एक मत ये भी है कि जब महिला के अंडे में वीर्य ज्यादा होता है तो लड़का बनता है और जब वीर्य कम और खून ज्यादा होता है तो लड़की का जन्म होता है. किन्तु जब वीर्य और रक्त की मात्रा ठीक बराबर हो जाती है तो किन्नर का जन्म होता है. शास्त्रों में पिछले जन्म के कर्मो के फल के कारण भी किन्नर बनने की बात कही गयी है.


आज विज्ञान का युग है. अल्ट्रासाउंड में पहले ही पता चल जाता है कि गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग क्या है. इसलिए गर्भवस्था के दौरान सभी जांचे करवानी चाहिए. ताकि भविष्य में किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े.


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