UP NEWS: कदंब के 5 हजार वर्ष प्राचीन वृक्ष की परिक्रमा करने से होती है संतान की प्राप्ती, भगवान कृष्ण का है यह कनेक्शन
संभल के पौराणिक और धार्मिक महत्व का स्कंद पुराण में भी उल्लेख है. संभल में बेनीपुर चक गांव के समीप वंश गोपाल तीर्थ में विशाल कदंब के वृक्ष के साथ ही 68 तीर्थ और 19 कूपो का भी विशेष धार्मिक महत्व है.....
सुनील सिंह/संभल: उत्तर प्रदेश के संभल की पौराणिक नगरी के तौर पर भी पहचान है. संभल में आज भी ऐसे कई विशेष धार्मिक स्थल हैं, जो लोगों की अटूट आस्था का केंद्र है. पौराणिक और धार्मिक नगरी के तौर पर विख्यात रहे संभल में 5 हजार वर्ष प्राचीन कदंब का विशाल वृक्ष आज भी लोगों की अटूट आस्था का केंद्र है. माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणि के हरण के बाद संभल में इसी कदंब के वृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम किया था.दीपावली के बाद इस कदंब के विशाल वृक्ष की परिक्रमा करने से संतान की प्राप्ति होती है.
परिक्रमा करने से मनोकामनाए होती हैं पूरी
संभल के पौराणिक और धार्मिक महत्व का स्कंद पुराण में भी उल्लेख है. संभल में बेनीपुर चक गांव के समीप वंश गोपाल तीर्थ में विशाल कदंब के वृक्ष के साथ ही 68 तीर्थ और 19 कूपो का भी विशेष धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि कदंब के इस वृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम किया था. इसके बाद भगवान ब्रह्मा ने संभल में इन 68 तीर्थ और 19 कूपो का निर्माण कराया था. इन 68 तीर्थ और 19 कूपो की 24 कोसीय परिक्रमा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है.
इसलिए कहा जाता है वंश गोपाल तीर्थ
दीपावली के बाद कदंब और 68 तीर्थ ,19 कूपो की परिक्रमा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु संभल पहुंचते हैं. वंश गोपाल तीर्थ के नाम से विख्यात कदंब वृक्ष स्थल के महंत स्वामी भगवत प्रिय महाराज ने बताया कि कदंब वृक्ष की पूजा अर्चना और परिक्रमा करने से सभी मनोकामना के साथ संतान की भी प्राप्ति होती है. इसलिए इस स्थल को वंश गोपाल तीर्थ के नाम से जाना जाता है. दीपावली के बाद कदंब वृक्ष और 68 तीर्थ 19 कूपो की 24 कोस की परिक्रमा का विशेष महत्व है. 29 अक्टूबर से शुरू होने वाली इस परिक्रमा में शामिल होने के बड़ी संख्या में श्रद्धालु गोपाल तीर्थ पहुंचेंगे.