लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव शुक्रवार को अंबेडकर जयंती के दिन मध्य प्रदेश के इंदौर में उनकी जन्मस्थली महू पहुंचे. मगर दलितों के बीच पैठ बनाने की कोशिश में अंबेडकर जयंती पर महू पहुंचे अखिलेश यादव ने वहां ब्राह्मण राग छेड़ दिया.  माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और गुलाम मोहम्मद के पुलिस एनकाउंटर में ढेर हो जाने पर पहले ही सवाल उठा चुके अखिलेश ने इस बार ब्राह्मण कार्ड खेला. 


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उन्होंने कहा, पहले दिन से BJP चुनाव को देखते हुए एनकाउंटर कर रही है. मैं BJP से पूछना चाहता हूं कि जिन अधिकारियों ने एक ब्राह्मण मां-बेटी पर बुलडोज़र चलाया, उन्हें क्यों नहीं मिट्टी में मिलाया? क्या आज का भारत यह है कि कमज़ोर की जान ले लें? क्या संविधान में जो अधिकार है वो नहीं मिलेंगे?


अखिलेश यादव इसके पहले रायबरेली में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण कर चुके हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी की तरह सपा की भी नजर मायावती की पकड़ से दूर होते दलित वोटबैंक पर है, जो यूपी की राजनीति में एकतरफा समर्थन या विरोध के लिए जाने जाते हैं. वहीं बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अखिलेश यादव को बताया बरसाती मेंढक करार दिया.


योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, यह बहुत गंभीर विषय है, सपा बसपा और कांग्रेस का चरित्र बताना चाहूंगा कि समाजवादी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में रही है जब समाजवादी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में हुआ करती है तो अपराधियों का बलात्कारियों का दंगाइयों का अपहरणकर्ताओं का बोलबाला होता था. थानों में बैठकर पुलिस खड़ी रहती है और थानों की कुर्सी पर कब्जा कर लेते हैं. थाने किस आधार पर चलेंगे यह अपराधी तय करते हैं यही काम मायावती के शासनकाल में होता है कांग्रेस में भी यही है.


बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने अखिलेश के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, अखिलेश यादव का आतंकियों के प्रति प्रेम है, वह अनुवांशिक है. उन्होंने कहा, संविधान यही है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह नियम तय किए गए हैं कि एनकाउंटर में कोई अराजक तत्व मारा जाएगा तो उसकी मजिस्ट्रेट इंक्वायरी होगी और इसकी भी मैजिस्ट्रेट इंक्वायरी होगी तो बिना मजिस्ट्रेट इंक्वायरी के जो लोग इस निष्कर्ष पर पहुंच गए हैं कि यह फेक एनकाउंटर है. ये वही लोग हैं, जो अजमल कसाब के समर्थन में दया याचिका दायर करते हैं, याकूब मेमन के लिए अल्लाह हू अकबर का नारा लगाते हैं.


अफजल गुरु के समर्थन में जो लोग खड़े हो जाते हैं, वहीं आज अतीक अहमद के समर्थन में खड़े हैं. अतीक अहमद ने जिन बेकसूरों की जान ली, उनके प्रति उनके मन में हमदर्दी क्यों नहीं.यूपी में कानून-व्यवस्था को जो चुनौती देगा और उनका समर्थन कर जो माहौल बिगाड़ेगा, उसकी राजनीति खराब हो जाएगी.


 


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