मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी को भी न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती. जिसका केस झूठ की बुनियाद पर टिका हो, उसे बाहर फेंक देना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ईमानदारी, स्वच्छ हृदय और साफगोई से अदालत में आना चाहिए. जो इसके विपरीत आएगा, उसे बाहर का दरवाजा देखना पड़ेगा. कोर्ट ने चार्जशीट और समन आदेश को बार-बार चुनौती देने के कारण याची पर 5000 रुपये हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी है.


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एक महीना में भरना होगा जुर्माना
कोर्ट ने कहा है कि यह राशि महाराजगंज जिले के घुघुली थाना क्षेत्र के पकरी सिसवा गांव के निवासी राजेश को एक माह में महानिबंधक के समक्ष जमा करना होगा. जो राजकीय बाल गृह शिशु खुल्दाबाद, प्रयागराज को दी जाएगी और बच्चों के कल्याण के लिए खर्च होगी. जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने विनोद और दो अन्य की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है.


तीसरी बार दायर की गई थी याचिका
याचिका में सीजेएम महाराजगंज की अदालत से जारी समन आदेश और पुलिस चार्जशीट को चुनौती दी गई थी. इससे पहले भी इसे चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने अदालत में एक महीने में समर्पण करने तक संरक्षण दिया गया था. इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं के हाजिर नहीं होने पर मजिस्ट्रेट ने तीन बार गैर जमानती वॉरंट जारी किया. इसे भी चुनौती दी गई है, जो विचाराधीन है और अब तीसरी बार याचिका दायर की गई है.


मनमाफिक आदेश पाने के लिए झूठी याचिका
कोर्ट ने कहा कि याचिका स्वच्छ हृदय से दायर नहीं की गई है. धोखे में रखकर मनमाफिक आदेश पाने की कोशिश की गई है. याची कोर्ट आदेश का सम्मान नहीं करता. तथ्य छिपाकर याचिका दायर की गई है, जिसके लिए हर्जाना लगाया जाएगा.


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