इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, निष्पक्ष व सही विवेचना के लिए UP सरकार अपने निर्णय करें लागू
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को बड़ा निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने अपराध की उचित एवं निष्पक्ष विवेचना को लेकर अपर मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में गठित कमेटी के फैसलों को दो माह के भीतर प्रभावी रूप से लागू करने का निर्देश दिया है.
मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को बड़ा निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने अपराध की उचित एवं निष्पक्ष विवेचना को लेकर अपर मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में गठित कमेटी के फैसलों को दो माह के भीतर प्रभावी रूप से लागू करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि भारतीय आपराधिक न्याय प्रशासन प्रणाली अपने मानवाधिकार एवं मानव गरिमा बनाए रखने के काफी ऊंचे पायदान पर पहुंच गई है.
जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा कि हमारे न्याय शास्त्र में जब तक दोषी न साबित कर दिया जाय, हर आरोपी निर्दोष माना जाता है. इसलिए आरोपी को सही व निष्पक्ष विवेचना एवं स्वच्छ विचारण तथा संतुलित अभियोजन का अधिकार है. कोर्ट ने कहा, सही एवं पूर्वाग्रह रहित विवेचना आपराधिक न्यायशास्त्र का मूलभूत आधार है, जो संविधान के अनुच्छेद 20 व 21की अवधारणा के अनुरूप है.
एजेंसी से उठ जाएगा भरोसा: कोर्ट
कोर्ट ने आगे कहा कि हर अपराध की विवेचना कानून के मुताबिक पूरी की जानी चाहिए. सही विवेचना विवेचक का प्रथम दायित्व है. प्रत्येक सभ्य समाज में पुलिस को विवेचना कर अपराधियों को दंडित कराने का अधिकार है. समाज हित में जांच एजेंसी ईमानदार व निष्पक्ष होनी चाहिए, उसे झूठे सबूत इकट्ठा नहीं करना चाहिए.अन्यथा आम लोगों का एजेंसी से भरोसा उठ जाएगा.
कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह की कमेटी के फैसलों को अक्षरशः लागू करने का निर्देश देते हुए प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व सभी पुलिस अधीक्षकों को प्रेषित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पीड़िता के बयान महिला अधिकारी द्वारा आडियो वीडियो में कराये जाने तथा कोर्ट में पीड़िता के बयान को कमतर करने की दिशा में दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश रामपुर के वसीम, अलीगढ़ के आकाश व नवाबगंज प्रयागराज के विवेक सिंह की अपील व जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है.
क्या है कमेटी का फैसला-
1- शव विच्छेदन व चोट, की रिपोर्ट या पूरक चिकित्सा रिपोर्ट हस्त लिखित न होकर टाइप होगी.
2-शव विच्छेदन के दौरान शवों के डी एन ए फिंगर प्रिंट,के शैंपल अनिवार्य रुप से लिए जायेंगे. साफ्टवेयर विकसित किया जाएगा.
3-बंदूक की गोली लगने की स्थिति में पूरे शरीर का नहीं केवल जहां गोली लगी है उसी अंग का एक्सरे किया जायेगा.
4-शव विच्छेदन के दौरान चोटों की रंगीन फोटोग्राफ ली जायेगी।इसे केस डायरी का हिस्सा बनाया जायेगा.
5-केस डायरी में अनुक्रमणिका अंकित होगी.
6-चार्जशीट के साथ विवेचना का सारांश लिखा जायेगा.
7-अभियोगों के पर्यवेक्षक अधिकारी उचित व प्रभावी पर्यवेक्षण करेंगे।केवल डाकघर जैसा बर्ताव नहीं करेंगे.
8-पुलिस रिपोर्ट यथाशीघ्र अदालत में पेश होगी। अपने पार लंबे समय तक नहीं रखेंगे.
9-जिसमे आरोप पत्र दाखिल हो, आगे विवेचना अनुमति लेकर की जायेगी.
10-जहा गवाहों का बयान आडियो वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में दर्ज है को केस डायरी का हिस्सा बनाया जायेगा. सी डी,पेन ड्राइव अदालत में पेश होगी.
11-केस डायरी का फांट साइज बढ़ाया जायेगा.
12-इलेक्ट्रानिक सबूत मामले में साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी का पालन होगा.
13-पर्यवेक्षकीय अधिकारी सघन पर्यवेक्षण करेंगे.
14-प्रत्येक जिले में संयुक्त निदेशक अभियोजन की अध्यक्षता में विधि प्रकोष्ठ स्थापित हो, जो विवेचकों को कानून की अद्यतन जानकारी देता रहे.
15-तकनीकी व अन्य विभागों की सहायता ली जाय.
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