मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: प्रयागराज समेत प्रदेश के अन्य जिलों में बिना मास्क, हैंड ग्लव्स व अन्य जीवन रक्षक उपकरणों के बगैर नालों की सफाई कराने के मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए निर्देश दिया है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रयागराज जैसी घटना उत्तर प्रदेश में कहीं और न हों. दरअसल, कोर्ट ने इस मामले में तब संज्ञान लिया जब मीडिया रिपोर्ट में यह पाया कि प्रयागराज में नालों की सफाई के दौरान कर्मचारियों को बिना जीवन रक्षक उपकरण दिए नालों में उतार दिया गया.


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हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
हाईकोर्ट ने प्रयागराज में नालों की सफाई के लिए सफाई कर्मियों को नाले के अंदर जीवन रक्षक उपकरण दिए बगैर उतारने पर मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया. इस बाबत हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि नालों की सफाई के लिए सरकार की बनी नीतियों व शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए. कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रयागराज जैसी घटना उत्तर प्रदेश में कहीं और न हो यह सरकार सुनिश्चित करें. चीफ जस्टिस राजेश बिंदल व जस्टिस जेजे मुनीर की डिविजन बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कायम की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.


इस मगमले में प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल तथा नगर निगम प्रयागराज की तरफ से अनूप त्रिवेदी ने पक्ष रखा. कोर्ट के समक्ष कुछ जगहों पर नालों की सफाई के फोटोग्राफ्स दिए गए. इन तस्वीरों में बड़े बड़े नालों के अंदर सफाई कर्मी घुसकर बिना कोई मास्क, ग्लब्स या अन्य जीवन रक्षक उपकरणों के काम करते पाए गए. कोर्ट ने इस दृश्य को देखकर कहा कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और इस तरह की घटना मन को दुखी करने वाला है.


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सरकार ने कहा- नालों की सफाई के लिए बना रखी है नीति
हाईकोर्ट में प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने नालों की सफाई आदि के लिए एक नीति बना रखी है. उसी के अनुसार कार्य कराया जाता है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि उनके द्वारा लिए गए इस प्रकार के निर्णय का अधिकारी पूर्णतया पालन करें, ताकि कोई अनहोनी घटित न हो. नगर निगम की तरफ से उनके अधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रतिदिन एक विस्तृत रिपोर्ट नालों की सफाई आदि को लेकर तैयार हो. वह कोर्ट के समक्ष इसे बताएंगे. ताकि अब आगे ऐसी कोई घटना घटित न हो. कोर्ट ने इस याचिका पर पुनः ग्रीष्मावकाश के दौरान 6 जून को सुनवाई करने का निर्देश दिया है.


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