Books by Pakistani Writers: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) प्रशासन ने यूनिवर्सिटी के इस्लामिक स्टडीज़ डिपार्टमेंट में पढ़ाई जाने वाली पाकिस्तानी और इजिप्ट के लेखकों की किताबों को अपने पाठ्यक्रम में से हटा दिया है. ये दोनों किताबें एएमयू के एमए और बीए के स्टूडेंट्स को पढ़ाई जाती थीं. एएमयू प्रशासन ने यह निर्णय सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर सहित 20 से ज़्यादा शिक्षाविदों के पत्र लिखने के बाद लिया. बताया जा रहा है कि शिक्षाविदों ने यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था. 


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मौलाना मौदूदी की लिखीं किताबों पर विवाद को लेकर बोले प्रोफेसर
किताबों पर बैन लगने से पहले यह केस देशभर में चर्चा में रहा. वहीं, यूनिवर्सिटी के इस्लामिक स्टडीज़ में पढ़ा रहे प्रोफेसर ओबैदुल्लाह ने कहा कि मौलाना मौदूदी की लिखीं किताबों पर विवाद चल रहा है. वो बीसवीं सदी के सबसे बड़े स्कॉलर हैं. उनका असर पूरी दुनिया पर और खासतौर से अमेरिकी और संयुक्त अरब अमीरात पर है. वेस्टर्न कोलोनाइज़ेशन के खिलाफ उन्होंने सबसे ज़्यादा आवाज़ उठाई है. इसलिए उनके खिलाफ यह सब किया जा रहा है. उनका कहना है कि वह पिछले 50 साल से उन्हें पढ़ और पढ़ा रहे हैं, साथ ही पीएचडी भी करवा रहे हैं. लेकिन, अभी तक एक लाइन भी ऐसी नहीं पढ़ी, जिसमें किसी भी प्रकार का कोई विवाद हो या किसी विवादित संगठन के समर्थन जैसा कुछ भी लिखा हो. 


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लाइब्रेरी से नहीं हटाई जाएंगी किताबें
वहीं, शाफे किदवई, इंचार्ज पीआरओ ऑफिस एएमयू ने कहा कि चेयरमैन इस्लामिक स्टडीज़ से वार्ता हुई थी. उन्होंने बताया कि मौलाना मौदूदी की जो विवादित किताब थीं, उनको अब सिलेबस से हटा दिया गया है. अब वह नहीं पढ़ाई जाती हैं. जो भी विवाद है, मौलाना मौदूदी का अपना कॉन्सेप्ट है. अपनी विचारधारा है. जब हमारे सामने ये सब बातें आईं, तो हमने उन की किताबों को नहीं पढ़ाए जाने का निर्णय लिया है. हालांकि, लाइब्रेरी से किताब के हटाए जाने का कोई निर्णय नहीं है, वो अलग जगह है.


PM Modi को भेजा गया था शिकायती पत्र, जानें क्या लिखा था
दरअसल, शिक्षाविदों ने पीएम को भेजे गए पत्र में लिखा था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के साथ जामिया मिलिया इस्‍लामिया और हमदर्द यूनिवर्सिटी के साथ बाकी स्टेट-फंडेड विश्वविद्यालयों में पाकिस्तानी लेखकों की किताबें पढ़ाई जा रही हैं. शिक्षाविदों ने पाकिस्‍तानी कट्टर इस्‍लामिक प्रचारक और जमात-ए-इस्‍लामी के संस्‍थापक मौलाना अबुल अला मौदूदी की किताबों को पढ़ाए जाने पर खासतौर से सवाल उठाए थे. 


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