लखनऊ: कॉल्विन हॉस्पिटल के गेट पर रूटीन चेकअप के लिए जा रहे माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ के हत्यारों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल, इन हत्यारों ने जिस एनसीआर न्यूज पोर्टल की आईडी को उस दैरान इस्तेमाल में लाया था उस न्यूज पोर्टल में घटना के महज तीन दिन पहले ही रिपोर्टरों को भर्ती किया गया था.


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इतना ही नहीं पूरी प्लानिंग के तहत अतीक-अशरफ की 13 अप्रैल को मिली रिमांड से पहले ही शहर के छोटे छोटे पोर्टलों से जुड़े लोगों से एनसीआर न्यूज पोर्टल संचालकों ने संपर्क भी साथा था. बताया जा रहा है कि संपर्क साथने के लिए फोन करने के काम में दिल्ली की एक महिला और लखनऊ में ही तैनात सिपाही भी शामिल रहे थे जिनसे पुलिस पूछताछ कर सकती है.  


युवकों की भर्ती 
प्रयागराज के कई युवक जो छोटे पोर्टल में, कम पैसों में काम करते हैं वो एक साथ कई पोर्टल में काम करके अपना खर्च निकाल पाते हैं. एनसीआर न्यूज पोर्टल ने इसी का 
फायदा उठाकर 11 अप्रैल को छोटे पोर्टल के युवाओं से संपर्क साथा. एक युवक को तो एक सिपाही ने कॉल करके एनसीआर न्यूज पोर्टल से जुड़ने तक को कहा. उसने ही महिला का नंबंर युवक को दिया. इसी तरह कई युवकों की रिपोर्टर के तौर पर भर्ती ली गई थी. 


घटना के बाद नंबर बंद
वहीं, 15 अप्रैल की रात 10:37 बजे एनसीआर न्यूज की माइक आईडी के साथ आए शूटर लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य ने अतीक और अशरफ पर विदेशी पिस्टल से गोलियां बरसाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया और जिन युवाओं को रिपोर्टर के तौर पर भर्ती किया गया था वो लोग घटना स्थल पर कुछ देरी से पहुंच पाए थे. वहीं एनसीआर न्यूज की माइक आईडी देखकर युवाओं के पैरों तले जमीन खिसक गई. और तो और न्यूज पोर्टल से जुड़ने के लिए दिए गए नंबर पर फोन करने वाले लोग हत्याकांड के बाद फोन नहीं उठा रहे.  भर्ती आवेदन पत्र पर जो नंबर दिया गया है उस पर भी कोई कॉल रिसीव नहीं कर रहा है.  


एनसीआर न्यूज का माइक आईडी 
अतीक-अशरफ के हॉस्पिटल जाते समय वहां अन्य न्यूज चैनल से भी प्रतिनिधि आए थे. एनसीआर न्यूज आईडी और कैमरा लेकर हत्याकांड के चंद मिनट पहले ही तीनों शूटर भी अस्पताल गेट पर आ पहुंचे. असली मीडियाकर्मी तो अतीक-अशरफ से अपने सवाल पूछ रहे थे लेकिन हत्याकांड के एक वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति किसी को कह रहा था कि तुम आईडी मत लगाना। तुमको फीड दे दिया जाएगा।


कॉल्विन हॉस्पिटल के गेट पर हुई माफिया अतीक और उसके भाई की हत्या के दौरान एनसीआर न्यूज पोर्टल की आईडी को हत्यारों ने इस्तेमाल में लाया था. सनी सिंह, लवलेश तिवारी व अरुण मौर्य के मुताबिक इस वारदात को अंजाम देने के लिए ये लोग दो दिनों से जुटे थे. लगातार मीडियाकर्मी बनकर ये लोग घूमते थे और भीड़ में शामिल हो जाते थे। पर सही मौक नहीं मिलने पर प्लान को टालते रहे। लेकिन 15 अप्रैल की रात को मौका मिलते ही अपने प्लान को इन युवकों ने अंजान दे दिया. 


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