अयोध्या: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अयोध्या को नया रूप देने में लगी हुई है. एक तरफ भगवान श्री रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ अयोध्या के प्राचीन मंदिरों को भी बेहतर बनाने की कवायद चल रही है. इसी के तहत रानगरी के मप्राचीन मंदिरों को बेहद आकर्षक बनाया जा रहा है. इसके तहत नगर के पुराने मंदिरों को फसाड लाइटों से सजाया जा रहा है. ताकि, अयोध्या के अति प्राचीन मंदिर भी अपनी तरफ श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित कर सकें.


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पुराने मंदिरों में चल रहा रिनोवेशन
आपको बता दें कि विशेष अभियान के तहत अयोध्या में प्राचीन व ऐतिहासिक मन्दिरों की संरक्षित किया जा रहा है. आइए आपको बताते हैं कैसे. इसके लिए पहले प्राचीन और जीर्ण मंदिरों को संरक्षित किया जा रहा है. मंदिर के टूटे हुए हिस्सों को रिनोवेट किया जा रहा है. रिनोवेशन में भी टूटे स्थलों को वैदिक रूप से बनाया जा रहा है. इस काम के खत्म होने के बाद उसमें लाइटिंग कर और अधिक आकर्षक बनाने का काम चल रहा है.


जानिए किन मंदिरों में हुआ है काम
आपको बता दें कि अब तक अयोध्या के कई मंदिरों में कायाकल्प हो चुका है. इन प्रमुख मंदिरों में हनुमान गढ़ी, कनक भवन, दिगंबर अखाड़ा, जानकी महल, गुप्तारघाट व दशरथ महल शामिल हैं. यहां बेहतर ढंग से लाइटिंग का काम किया जा चुका है. इनके अलावा अयोध्या विकास प्राधिकरण नगर के अन्य ऐतिहासिक और प्राचीन महत्व के मंदिरों की लिस्ट तैयार करने में जुटा हुआ है. जिसके बाद इसे शासन को भेजा जाएगा. शासन की मंजूरी के बाद चिन्हित मंदिरों को भी सजाने और संवारने का कार्य किया जाएगा.


अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने दी जानकारी
इस मामले में अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि फसाड लाइट के माध्यम से चित्रों को हाइलाइट किया जा रहा है. आपको बता दें कि अयोध्या के प्राचीन मंदिरों और पौराणिक भवनों का बेहतरीन आर्किटेक्टचर रहा है. जिसे हाईलाइट किया जा रहा है. हालांकि, इन मंदिरों के रिनोवेशन के लिए प्रोजेक्ट पहले से ही चल रहा है. इसके माध्यम से पहले भवनों को सुरक्षित किया जा रहा है.


उन्होंने बताया कि पहले राम की पैड़ी पर पुराने भवनों को रिनोवेशन का कार्य किया गया है. उसके बाद पहले से चिन्हित स्थान पर फसाड लाइट लगाई जा रही हैं.  वहीं, 20 मंदिरों को पहचान करके शासन को डीपीआर भेजा गया है. शासन की स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा. इसी कड़ी में कई मंदिरों पर इस प्रकार से कार्य किया भी जा चुका है. 


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