सत्यप्रकाश/अयोध्या:  श्रीराममंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक शनिवार को समाप्त हो गई. बैठक के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि बैठक में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुहुर्त पर चर्चा हुई है. उन्होंने साफ कहा कि 22 जनवरी 2024 को प्राणप्रतिष्ठा की बात महज अफवाह है. सितंबर के बाद हम रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त तय करेंगे.और जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम 8 महीने पहले तय नही हो सकता है.और अगर तय होगा तो सुरक्षा कारणों से समाज को बताना जरूरी नहीं होता है. बैठक से पहले मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने ट्रस्ट के पदाधिकारियों सहित मंडलायुक्त गौरव दयाल, नगर आयुक्त विशाल सिंह के साथ निर्माणाधीन रामजन्मभूमि पथ का भी निरीक्षण किया. पथ पर अलग-अलग व्यवस्थाओं के लिए कौन सी जगह उचित रहेगी. इसकी रूपरेखा तैयार की गई. चेकिंग प्वाइंट, यात्री सुविधा केंद्र, बेंच, पेयजल, शौचालय आदि के इंतजाम का खाका तैयार किया गया. 


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चंपत राय ने बताया ''मंदिर के भूतल का काम हर हाल में सिंतबर-अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा. क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों में भी कुछ समय लगेगा. बैठक में गर्भगृह के फर्श पर लगने वाले संगमरमर व परकोटा में बनने वाले को लेकर भी चर्चा हुई है.'' चंपत राय के मुताबिक ''बैठक में भीड़ नियंत्रण पर करीब दो घंटे तक मंथन हुआ.'' 


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उन्होंने कहा कि ''राममंदिर बनने के बाद केवल मंदिर ही नहीं बल्कि पूरी अयोध्या के भीड़ नियंत्रण का प्लान तैयार हो रहा है. यात्रियों को कहां रोका जाएगा, वहां से भक्त राममंदिर तक किस तरह आएंगे. पार्किंग की व्यवस्था कैसी हो, मंदिर के प्रवेश व‌ निकास मार्ग किस तरह से तय किए जाएं. इसके साथ ही चल रहे मंदिर निर्माण में लगाए जा रहे मकराना मार्बल की पत्थरों की उपलब्धता पूरी ना हो पाने की जानकारी देते हुए बताया गया कि '' मार्बल सफेद होता है और रंगीन भी होता है, लेकिन सफेद सबसे ज्यादा चलता है . सफेद पत्थर को यदि घिसाई किया जाए.तो वह भी मार्बल जैसा हो जाता है. इसलिए सफेद पत्थर और मार्बल में अंतर क्या है इन सभी बातों पर मंथन किया गया है.  मार्बल 100 वर्ष तक अपना रंग नहीं बदलता है. और मार्बल के बीच कोई काला धब्बा निकल आए तो वह आजीवन उसी तरह बना रहेगा. लेकिन सफेद रंग के जो भी पत्थर हैं वह घिसाई करने से खूब चमकता हैं लेकिन हवा, धूप और पानी के कारण 4 से 5 वर्ष में ही उसका रंग बदल जाता है.''


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