मुश्किल घड़ी में कलीम के लिए आयुष्मान भारत योजना बनी संजीवनी, अब तक 6.64 लाख का करा चुके नि:शुल्क इलाज
बाराबंकी शहर के धनोखर स्थित कस्बा रसूसपुर निवासी 36 वर्षीय मो. कलीम बेहद गरीब परिवार से हैं. उन्होंने बताया कि वह छह दिसम्बर 2018 से हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में स्थित डायलिसिस यूनिट में निरन्तर भर्ती होकर नि:शुल्क उपचार करा रहे हैं.
नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: आयुष्मान भारत योजना गरीब तबके के लिए वरदान साबित हो रही है. इसका प्रत्यक्ष और ताजा उदाहरण हैं, बाराबंकी के मोहम्मद कलीम. उनकी बीमारी का इलाज सिर्फ डायलिसिस है, जिस पर एक बार में हजारों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन आयुष्मान योजना के तहत उन्हें यह सुविधा बिल्कुल मुफ्त मिल रही है. इससे जहां वो इलाज के लिए कर्ज लेने से बच गए. वहीं, परिवार वालों को भी एक बड़ी समस्या का बैठे-बैठाए हल मिल गया. आयुष्मान कार्ड लाभार्थी के रूप में कलीम 2018 से अब तक निरन्तर मुफ्त डायलिसिस करवाकर योजना का लाभ ले रहे हैं. मो. कलीम पेशे से टेलर हैं और अब वह दुकान पर भी बैठने लगे हैं.
5 लाख 40 हजार का मुफ्त इलाज करवा चुके हैं मो. कलीम
बाराबंकी शहर के धनोखर स्थित कस्बा रसूसपुर निवासी 36 वर्षीय मो. कलीम बेहद गरीब परिवार से हैं. उन्होंने बताया कि वह छह दिसम्बर 2018 से हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में स्थित डायलिसिस यूनिट में निरन्तर भर्ती होकर नि:शुल्क उपचार करा रहे हैं. उन्होंने अब तक 36 महीने में योजना के तहत करीब 5 लाख 40 हजार का मुफ्त इलाज करवाया है. वह सरकार की इस योजना से बहुत ही संतुष्ट हैं. इसके लिए उन्होने प्रधानमंत्री सहित हॉस्पिटल में डायलिसिस यूनिट के समस्त स्टाफ और आयुष्मान मित्र को हृदय से धन्यवाद दिया.
मो. कलीम के लिए डायलिसिस ही एक मात्र सहारा
कलीम के मुताबिक साल 2014 में पथरी होने की समस्या के दौरान जांच रिपोर्ट में उनका क्रिएटिनिन बहुत ज्यादा आया. उनके घर परिवार में आय का कोई पुख्ता जरिया न होने पर उन लोगों को बड़ी ही परेशानी के दौर में गुजरना पड़ा. किसी तरह एक-एक दिन कट रहा था. इस दौरान परिवार के सहयोग से फिर 2017 में लखनऊ के एक निजी हॉस्पिटल में उपचार कराया गया. कुछ समय बाद वहां के डाक्टरों ने क्रिएटिनिन तेजी से बढ़ता देखकर डायलिसिस कराने की सलाह दी. धीरे-धीरे सुगर, ब्लडप्रेशर और अन्य बीमारियों की वजह से किडनी (गुर्दा) पूरी तरह फेल होने लगा.
अब डायलिसिस ही उनका एक मात्र सहारा बचा. डायलिसिस में अधिक पैसे खर्च होने की वजह से वह बहुत ही मुश्किल घड़ी का सामना कर रहे थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि उनके पास जो आयुष्मान कार्ड है. उसकी मदद से डायलिसिस मुफ्त हो सकती है. इसके बाद उन लोगों ने पूरी प्रक्रिया पता की. उसके बाद छह दिसम्बर 2018 से वह हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में स्थित डायलिसिस यूनिट में निरन्तर भर्ती होकर नि:शुल्क उपचार करा रहे हैं.
बाराबंकी के सीएमओ डॉ. रामजी वर्मा ने बताया कि मो. कलीम की किडनी के पूरी तरह से फेल हो जाने से उनके शरीर के सभी कामकाज बंद होने लगे थे. सीएमओ ने बताया कि जनपद में आयुष्मान भारत योजना के तहत हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज सहित सरकारी और निजी चिकित्सालय के कुल 32 अस्पताल को सूची बद्ध हैं. मो. कलीम की हिंद अस्पताल में करीब 5 लाख 40 हजार रुपये की नि:शुल्क डायलीसिस हो चुकी है, जबकि उनका कुल 6,64,000 का इलाज आयुष्मान कार्ड से हुआ है, जिसमें डायलीसिस के साथ ही कुछ सर्जरी भी की गईं हैं.
ऐसे ही बाराबंकी जिले में तमाम लोगों को इस योजना का लाइ मिल रहा है. सीएमओ ने बताया कि बाराबंकी जिले में कुल 17,23,921 आयुष्मान योजना के लाभार्थी हैं. जिनमें से 3,99,839 लोगों के गोल्डन कार्ड बन चुके हैं और 18,946 लोगों का उपचार इस योजना के तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में हो चुका है.
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