छूआछूत के अभिषाप के चलते जब एक बालक को आम छात्रों से अलग दूसरे मटके से पानी पीना पड़ा तो उसने विरोध में मटका ही फोड़ दिया. कॉलेज के दिनों में जब एक नाई ने हेअर कट करने से इनकार किया तो भेदभाव के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया. वही बालक आगे चलकर में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पहली कैबिनेट में मंत्री बना. बांग्लादेश के निर्माण के समय रक्षा मंत्री के पद रहते हुए पाकिस्तान के दांत खट्टे किए तो बतौर कृषि मंत्री आजाद भारत की पहली हरित क्रांति को सफल बनाया. हम जिक्र कर रहे हैं बाबू जगजीवन राम का, जिनकी आज पुण्यतिथि है. 


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बाबू जगजीवन राम बिहार में पले-बढ़े कद्दावर दलित नेता थे, जो देश के प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी रहे. लेकिन इंदिरा गांधी का साथ छोड़ने की हिमाकत और बेटे की अश्लील तस्वीरों ने उनके प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश तो क्या बल्कि उनका 50 साल का राजनीतिक करियर ही तबाह कर दिया. अब बाबू जगजीवन राम की राजनीतिक विरासत उनकी बेटी मीरा कुमार संभाल रही हैं


कैसे देश के प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए जगजीवन राम


देश में लगी 1975 की इमरजेंसी में बाबू जगजीवन राम इंदिरा गांधी के साथ रहे. लेकिन आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी से अलग होकर उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा के साथ मिलकर कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी नाम का अलग राजनीतिक दल बनाया. जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जनता पार्टी की जीत के बाद बाबू जगजीवन राम ही प्रधानमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे, मगर सियासी गणित में बहुमत नहीं जुटा पाए और प्रधानमंत्री बने मोरारजी देसाई. प्रधानमंत्री नहीं बन पाने से वो इतने नाराज हुए कि 27 मार्च 1977 को हुए जनता पार्टी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने भी नहीं पहुंचे थे. हालांकि बाद में जय प्रकाश नारायण के समझाने पर वो उप-प्रधानमंत्री बने और रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गई.


बेटे की अश्लील तस्वीरों ने खड़ा कर दिया बवाल 
इसी दौर में बात 1978 की है जब सूर्या मैगजीन में जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम की न्यूड तस्वीरें एक महिला के साथ छाप दी गईं. 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार तो गिर गई, लेकिन बेटे की अश्लील तस्वीरों से जगजीवन राम की जो जगहंसाई हुई, उसने उनके पीएम बनने की रही-सही उम्मीदें भी खत्म कर दीं. इस घटना ने जगजीवन राम के सियासी सफर की गाड़ी को पटरी से ऐसे उतारा कि वो फिर कभी रफ्तार नहीं पकड़ सकी और धीरे-धीरे उनका राजनीतिक करियर चौपट हो गया.


Babu Jagjivan Ram Death Anniversary: कद्दावर नेता होते हुए भी बस इसलिए पीएम बनते-बनते रह गए थे बाबू जगजीवन राम