कुलदीप चौहान/बागपत: यूपी के बागपत में दिल्ली-शामली-सहारनपुर रेलमार्ग पर यात्रीगण अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रेन कि छत पर यात्रा कर रहे हैं. इसका वीडियो भी शोसल मिडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में इलेक्ट्रिक लाइन होने के बावजूद यात्री ट्रेन की छत पर सवार दिखाई दे रहे हैं. जान हथेली पर रखकर सफर करने की वजह यह बताई जा रही है कि इस रूट पर ट्रेनों की कमी है. वहीं, रेलवे अधिकारी का कहना है कि लोगों को लगातार चेतावनी दी जा रही है, फिर भी वह मान नहीं रहे.


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ट्रेन बढ़ाने की उठाई जा रही मांग
दरअसल, रेल यात्रियों का खतरे मे सफर करने का यह वीडियो दिल्ली-शामली-सहारनपुर रेलमार्ग पर खेकड़ा के पास का बताया जा रहा है. वायरल वीडियो में ट्रनकी छत पर यात्री के ऊपर से इलेक्ट्रिक लाइन के तार भी जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. जाहिर है कि ऐसे मे किसी बड़े हादसे की भी आशंका है. बताया जा रहा है कि नौकरी के लिए रोजाना हजारों लोग इस रूट से नोएडा और दिल्ली जाते हैं. इसलिए इस रूट पर ट्रेनों की संख्या बढ़ाने के लिए क्षेत्र के लोग अधिकारियों और सांसद के सामने भी बात रख चुके हैं. कोरोना काल मे बंद हुई ट्रेनों को दोबारा शुरू करने की भी मांग उठाई जा चुकी है, ताकि हादसों से बचा जा सके.


ट्रेन चलने के पहले हमेशा की जाती है अनाउंसमेंट
खेकड़ा स्टेशन मास्टर का कहना है कि ज़ब हम ट्रेन चलाते हैं, तब छत पर कोई नहीं होता. लेकिन, हो सकता है कि बाद में लोग चढ़ जाते हो. प्रशासन से ये मांग की जा रही है कि अतिरिक्त ट्रेन चलाई जाए और अधिकारियों से आश्वासन भी मिला. हालांकि, 5 महीने से यहां इलेक्ट्रिक लाइन शुरू हो गई है और नॉन इलेक्ट्रिक रूट कम हो गया है. स्टेशन मास्टर का कहना है कि वह कोशिश करते हैं कि ट्रेन चलने से पहले कोई भी ट्रेन के ऊपर न हो. वह अनाउंसमेंट कर लोगों को सूचित करते हैं कि ऐसी गलती न करें. फिर भी लोग नहीं सुनते.


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2022 में शुरू हुई इलेक्ट्रिक लाइन
मालूम, दिल्ली-शामली वाया सहारनपुर रेल मार्ग काफी बिजी रूट है. कोरोना काल से पहले इस पर 24 ट्रेन अप और डाउन चल रही थीं. 2020 के मार्च में कोरोना की पहली लहर आई, तब ट्रेनों को बंद कर दिया गया था. साथ ही मार्ग पर इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने के लिए इलेक्ट्रिक लाइन लगाने का काम शुरू कर दिया गया था. 2022 के शुरू में इलेक्ट्रिक लाइन लगने का काम पूरा होने के बाद मार्ग पर 4 ट्रेनें चलाई गईं. यह ट्रेन सहारनपुर, शामली, बागपत और गाजियाबाद के यात्रियों की संख्या के मुकाबले ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही हैं.


सुबह से शाम आते-जाते रहते हैं लोग
इन चारों जिलों के 10 हजार से ज्यादा लोग दिल्ली और नोएडा आदि शहरों में नौकरी करते हैं. वह रोजाना सुबह के समय दिल्ली और नोएडा जाते हैं. फिर, शाम को वापस ट्रेन से ही आते हैं. इससे मार्ग पर चलने वाली तीनों ट्रेनों में यात्रियों की इस कदर भीड़ हो जाती है कि कोच में पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती.


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