Balia : मां और मौसी के मकान में दफन 100 लाशों की तलाश में निकली यूपी पुलिस की तेजतर्रार टीम
Balia News: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की रतसड नगर पंचायत में कुछ मकानों के नीचे 100 लाशें दफन होने का दावा किया गया है. इसकी तलाश में पुलिस, फोरेसिंक एक्सपर्ट, डॉग स्क्वॉयड और मानवाधिकार आयोग की टीम जुटी है.
बलिया/मनोज चर्तुवेदी : उत्तर प्रदेश के बलिया (Balia) जिले में पेड़ों के नीचे दफन 100 लाशों की तलाश में पुलिस, फोरेसिंक एक्सपर्ट(Forensic Expert) , डॉग स्क्वॉयड (Dog Squad) और मानवाधिकार आयोग के सदस्यों की एक टीम डेरा डाले हुए हैं. बलिया जनपद के रतसड नगर पंचायत में तेजतर्रार पुलिस (UP Police) अफसरों औऱ विशेषज्ञों की ये टीम जगह-जगह खुदाई करने के साथ सबूत तलाशने की कोशिश कर रही है.
सौ लाशों की खोजबीन की ये बात सुनकर पूरे इलाके में हड़कंप है औऱ मौके पर इकट्ठा भारी भीड़ खोजबीन में लगी है. दरअसल, भारतीय मूल की कनाडाई नागरिक शालिनी सिंह ने ये दावा मानवाधिकार शिकायत दर्ज कराई थी कि रिश्ते में नाना स्व० धर्मात्मा सिंह और साथ ही मां और मौसियों द्वारा मकान में सौ लाशें दफन की गई हैं. शिकायतकर्ता के अनुसार, 1990 से 1995 के बीच इन वारदातों को अंजाम दिया गया था. वही दफन लाशों के ऊपर पेड़ लगा दिए गए थे.
शिकायतकर्ता की ओर से दावा किया गया था कि मकान के ऊपरी मंजिल में एक उड़ने वाली मशीन है जो इंशानो को अदृश्य कर देती है.मानवाधिकार आयोग के आदेश पर पहुंची जांच टीम को स्व. धर्मात्मा सिंह की वारिस अन्नू सिंह के विरोध का सामना भी करना पड़ा. हालांकि जांच टीम ने डॉग स्क्वायड के साथ घर के बगीचे सहित पूरे मकान की विधिवत जांच की. जांच टीम को शिकायतकर्ता की ओर से लगाए गए आरोपों से जुड़ा कोई भी साक्ष्य अभी तक नहीं मिला है.
हाई प्रोफाइल ड्रामे में नया मोड़ तब आया जब मकान की वारिस अन्नू सिंह शिकायतकर्ता शालिनी सिंह के चेहरे पर बंधे कपड़े पर आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने उसकी पहचान उजागर करने की गुजारिश की. मानवाधिकार आयोग के एएसपी अमित मिश्रा का कहना है कि मानवाधिकार आयोग के आदेश पर ये जांच कराई गई है. शीघ्र ही रिपोर्ट आयोग को सौंप दी जाएगी.
मकान मालिक अन्नू सिंह का कहना है कि शालिनी सिंह को उनके परिवार को बदनाम करने की नीयत से गलत आरोप लगाए गए. साथ ही आयोग और शासन-प्रशासन को गुमराह किया गया.शिकायतकर्ता शालिनी सिंह का कहना है कि उनके आरोप पूरी तरह सच हैं. जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही आरोप लगाने की वजह का खुलासा हो सकेगा.
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