मनोज चतुर्वेदी/बलिया: बलिया जिले से 'चोट कहीं और इलाज कहीं और' जैसा मामला सामने आया है. पीड़िता के मुताबिक उसके हाथ के निचले हिस्से में चोट लगी थी, जबकि अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने कंधे का एक्सरे लिख दिया. पीड़िता ने पूरे मामले की शिकायत सीएमओ कार्यालय में की है. 


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जानिए क्या है पूरा मामला 
दरअसल सिकंदरपुर क्षेत्र की रहने वाली सीमा यादव किसी मारपीट मामले में चोट के बाद इलाज के लिए सिकन्दरपुर सीएससी पहुंची थीं. उनके मुताबिक अस्पताल में मौजूद डॉक्टर अभिषेक ने उनका प्राथमिक उपचार करते हुए रिपोर्ट में बलिया जिला अस्पताल से कंधे का एक्सरे कराने को लिख दिया. जबकि सीमा यादव डॉक्टर से लगातार गुहार करती रहीं कि उनके हाथ के निचले हिस्से में चोट लगी है. बावजूद इसके डॉक्टर ने उसकी एक न सुनी.


एक्स-रे डिपार्टमेंट ने कंधे का एक्स-रे करने से किया मना
सीमा के मुताबिक वह जब जिला चिकित्सालय में एक्सरे कराने पहुंची तो एक्सरे डिपार्टमेंट ने भी उनकी चोट देखकर कंधे का एक्सरे करने से मना कर दिया. लिहाज़ा पीड़ित सीमा यादव सीएमओ कार्यालय पहुंची. पीड़िता के मुताबिक सीएमओ कार्यालय में बैठे डॉ ऐके मिश्रा ने चिकित्सक से बातचीत कर उसे जमकर फटकार लगाई. साथ ही दुबारा एक्सरे कर मामले की जांच करने को भी कहा. सीमा यादव का कहना है कि ऐसे डॉक्टरों से मरीज़ों का क्या भला होगा कि चोट कहीं और इलाज कहीं और किया जा रहा है. 


क्या बोले स्वास्थ्य विभाग के सर्विलांस अधिकारी
बलिया के स्वास्थ्य विभाग में सर्विलांस अधिकारी के तौर पर तैनात डॉ ए.के. मिश्रा का कहना है कि पीड़िता शिकायत लेकर आई थी. जिसका कहना है कि जिस हिस्से पर चोट लगी थी, उस हिस्से का एक्सरे डॉक्टर द्वारा न करने की एडवाइज दी है. सम्बन्धित डॉक्टर से बातचीत हुई है, डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने विधिवत जांच कर मरीज ने जिस हिस्से पर चोट और दर्द बताया उस हिस्से का एक्सरे करने को कहा गया है. पीड़िता को दोबारा डॉक्टर के पास परीक्षण के लिए भेजा गया है. परीक्षण कर बताएंगे. उसके मुताबिक आगे की जांच बताई जाएगी.


डॉ ए. के मिश्रा का कहना है कि कई बार मरीज डॉक्टरों पर दबाव बनाते है कि शरीर के अलग अलग हिस्सों का एक्सरे कराया जाए. जबकि डॉ चिकित्सीय परीक्षण के बाद उन्हें जहां लगता है कि चोट लगी है वहीं एक्सरे कराने का अनुमोदन करते है. डाक्टर के द्वारा लापरवाही की गई है या नही ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा. जब तक मामले की जांच पूरी नहीं होती तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है.