यूपी में गुजरात मॉडल अपनाएगी बीजेपी, पन्ना फार्मूले को चुनाव में दोहराने की तैयारी
गुजरात में पिछले कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के पीछे पन्ना समिति फॉर्मूले को श्रेय दिया गया था. अब यही मॉडल पार्टी यूपी में अपनाने जा रही है. आइए जानते हैं क्या है पन्ना समिति और कैसे काम करती है.
लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी संगठन को बूथ स्तर पर नये सिरे से मजबूती दे रही है. इस कवायद में उत्तर प्रदेश बीजेपी अब गुजरात मॉडल को अपनाकर निकाय चुनाव से लेकर मिशन 2024 को सफल बनाने में जुट गई है. इस कड़ी में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा पन्ना प्रमुख मॉडल को अपनाकर सियासी जंग के मैदान में विपक्षी पार्टियों से एक कदम आगे निकलना चाहती है. गुजरात में पन्ना प्रमुख और समिति के प्रयोग की सफलता के बाद अब यूपी में इन समितियों का गठन करने के साथ ही हर बूथ के ऐसे मतदाताओं को जोड़ा जाएगा जिनका अपने समाज में काफी प्रभाव है. यानी जिनके कहने पर वोटर प्रभावित होते हैं. प्रभावी मतदाताओं की सूची बनाने के बाद उनका अलग से सम्मेलन कराया जाएगा.
कैसे काम करती है पन्ना समिति
वोटर लिस्ट के पन्ने के दोनों तरफ 30-30 वोटर का नाम होता है. इसका मतलब एक पन्ना और 60 वोटर है. अभी तक बीजेपी पन्ना प्रमुख बनाती रही. इसके तहत पन्ने के 60 वोटर में से किसी एक को ये जिम्मेदारी दी जाती रही कि वो बाकी वोटर से मिलकर पार्टी के पक्ष में वोट करने को प्रेरित करे.नई व्यवस्था में पन्ना समिति के कई लोग पन्ना प्रमुख के साथ मिलकर ये काम करेंगे. पार्टी अब पन्ना समितियां बनाएगी जो वोटर तक पहुंचने का जिम्मा संभालेगी. इससे पहले गुजरात में यह प्रयोग किया गया जो सफल हुआ.
पन्ना प्रमुखों की अगुवाई में पन्ना समिति को वोटर तक पहुंचने का जिम्मा दिया जाएगा. प्रत्येक वोटर पर कार्यकर्ताओं की पन्ना समिति बनाई जाएगी. पन्ना प्रमुख की व्यवस्था भी जारी रहेगी.
लखनऊ स्थिति प्रदेश बीजेपी कार्यालय में रविवार को प्रदेश बीजेपी कार्यसमिति की बैठक आयोजित की गई है. इस बैठक में बीजेपी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को पन्ना समिति के बारे में बताया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे.
2013 में पहली बार चर्चा में आया
इससे पहले 2013 में जब तत्कालिन लोकसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी बीजेपी का चेहरा बने तो सबसे ज्यादा चर्चा हुई विकास के 'गुजरात मॉडल' की. इसके साथ ही बीजेपी के इलेक्शन मैनेजमेंट में भी 'पन्ना प्रमुख' मॉडल जुड़ा. बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने वाले इस मॉडल ने बीजेपी के संगठन को जमीन तक खड़ा कर दिया और पार्टी सत्ता तक पहुंची.
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