लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीजेपी क्षेत्रीय सह संयोजक सिमरनजीत सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिख मुसलमानों को लेकर एक बात कही है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि मुसलमान अब अल्पसंख्यक नहीं रहे, अब वह द्वितीय बहुसंख्यक हो गए हैं. 


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पत्र में 'अल्पसंख्यक' शब्द को किया परिभाषित
उन्होंने पत्र में अल्पसंख्यक की परिभाषा देते हुए लिखा है, "अल्प संख्यक एक ऐसा समुदाय है, जिसका आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक रूप से कोई प्रभाव न हो और जिसकी आबादी नगण्य हो." हालांकि, आज देश और प्रदेश के कई जिलों में जिस समुदाय की संख्या 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है, उनके प्रतिनिधि तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय को (जो द्वितीय बहुसंख्यक हैं) सभी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं. वहीं, असल में अल्प संख्यक, जिनकी जनसंख्या नगण्य है (0.01 से 2 प्रतिशत तक), वह सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं.



इनके लिए बनाया गया था अल्पसंख्यक आयोग
बीजेपी क्षेत्रीय सह संयोजक ने लिखा कि अल्पसंख्यक आयोग का गठन ऐसे अल्प संख्यकों के हितों की रक्षा करना है, जिनकी जनसंख्या नगण्य हो. जिनके वोटा का जीत या हार पर कोई प्रभाव न हो, जो अपने वोट के बल पर अपना प्रतिनिधि विधान/लोक सभा भेजने में अक्षम हों. ऐसे समाज के हितों की रक्षा के लिए अल्प संख्यक आयोग का गठन किया गया था. 


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मुस्लिम समुदाय विधानसभाओं के निर्णय प्रभावित करने की सक्षम
सिमरनजीत ने आगे लिखा, "लेकिन, विडंबना देखिए कि जो वर्ग द्वितीय बहुसंख्यक है और अपने वोट के बल पर कई विधानसभाओं के निर्णय प्रभावित करने की क्षमता रखता है, उस वर्ग को अल्पसंख्यक बताकर हमेशा उनका प्रतिनिधित्व किया जाता है. उनका कहना है कि यह न्यायसंगत नहीं है."


46 जिलों का डेटा देकर बताई मुसलमानों की जनसंख्या
सिमरनजीत सिंह ने अपने पत्र में जिलेवार मुसलमानों की जनसंख्या प्रतिशत भी लिखी है, ताकि यह बता सकें कि अब वह माइनॉरिटी नहीं हैं. साथ ही उन्होंने लिखा है, 'सूचकांक 2011 के आधार पर उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में तथाकथित अल्पसंख्यक या द्वितीय बहुसंख्यकों की जनसंख्या का प्रतिशत...' इस लिस्ट में संभल, रामपुर, बिजनौर, सहारनपुर, चंदौसी, प्रयागराज, बांदा, बाराबंकी, लखनऊ समेत 46 जिले शामिल हैं. 



अल्प संख्यक वर्ग को ही आयोगा का अध्यक्ष बनाने की अपील
इसके बाद सिमरनजीत ने सीएम योगी से निवेदन करते हुए लिखा है कि पत्र में लिखी गई जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए आयोग के नाम के अनुरूप संख्या के आधार पर अल्प संख्यक वर्ग को ही आयोगा का अध्यक्ष और अन्य सम्मानित पदों पर आसीन करें. इसके अलावा, जो वर्ग सच में संख्या में नगण्य हैं और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं, उन संवर्गों को कल्याणकारी योजनाओं का फायदा मिल सके.



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