लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक तरफ तो निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा का इंतजार था. लेकिन हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक रोक लगा दी. कोर्ट में ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला आरक्षण में लागू न होने को लेकर यह रोक लगाई है. भले ही रोक हाईकोर्ट ने लगाई हो लेकिन इसे लेकर प्रदेश में सियासत चरम पर है. सत्ताधारी बीजेपी कह रही है कि इस पीआईएल के पीछे सपा के लोग हैं, सपा पर पिछड़ा विरोधी होने का आरोप बीजेपी लगा रही है.


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न‍िकाय चुनाव में अन्‍य प‍िछड़ा वर्ग रिजर्वेशन प्रक्र‍िया को नहीं अपनाने को लेकर मामला न्यायालय में लंबित है. उच्च न्यायालय ने सरकार को 20 दिसंबर तक निकाय चुनाव में ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर अपना जवाब दाखिल करने का समय द‍िया है. बीजेपी प्रवक्ता एसएन सिंह के मुताबिक यूपी सरकार ने निकाय चुनाव को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. पिछले बार जिस तरह 16 में 14 सीटों पर जनता ने बीजेपी को जीत दिलाई. इस बार सभी सीटें बीजेपी को मिलेगी. लोग विकास के नाम पर भाजपा को वोट देंगे.


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सपा प्रवक्ता कपीश श्रीवास्तव के मुताबिक नगर निकाय के अंदर त्रिस्तरीय आरक्षण की प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित करना था. वह बीजेपी सरकार नहीं कर पाई. हालही में चुनावी हार की वजह से देरी की जा रही है. सरकार जल्दी चुनाव नहीं चाहती है. सरकार कोर्ट में जवाब देने में भी देरी कर रही है. हकीकत यह है कि बीजेपी सरकार निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है. वह प्रशासक बैठाना चाहती है. ये सरकार पिछड़ों के आरक्षण के खिलाफ है.