SARAL App : देश में अगले साल आम चुनाव होने हैं. सभी पार्टियां जोर आजमाइश करने में जुट गई हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी मिशन 2024 को पार पाने में लगी है. इसी बीच सरल ऐप चर्चा में आया. सरल ऐप के माध्‍यम से भाजपा जनसंपर्क अभियान चला रही है. कई विधायक-सांसद जो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, उन्‍हें सरल ऐप इलेक्‍शन से पहले झटका दे सकता है. तो आइये जानते हैं क्‍या है सरल ऐप, जिसे भाजपा चुनाव हथियार के रूप में इस्‍तेमाल कर रही है. आखिर इस ऐप की मदद से भाजपा क्‍या करना चाहती है. 


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पार्टी को चाहने वालों का विवरण तैयार करना  
दरअसल, भाजपा भविष्‍य की रणनीति तय कर सके, इस‍के लिए अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत बनाने में जुटी है. बूथ स्‍तर तक के कार्यकताओं की जानकारी हो सके, इसके लिए भाजपा ने 'सरल ऐप' लॉन्‍च किया. इसके पीछे का मकसद है कि 6 महीने के भीतर पार्टी के प्रति रुझान रखने वाले हर व्‍यक्ति का विवरण डिजिटल रूप में तैयार हो सके. 


कमजोर बूथों को मजबूत करना उद्देश्‍य 
जानकारी के मुताबिक, कमजोर बूथों को मजबूत करने के लिए भाजपा ने इस ऐप को लॉन्‍च किया है. इसके जरिए कमजोर बूथों पर आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत की नींव तैयार करने की रणनीति बनाई जा रही है. सरल एप पर कई प्‍वॉइंट पर बूथ के कमजोर होने का डाटा अपलोड किया जा रहा है. डाटा अपलोड कराने की जिम्मेदारी सांसद और विधायकों की है. 


इसलिए चर्चा में आया सरल ऐप 
मीडिया रिपोर्ट्स  के मुताबिक, सरल ऐप डाउनलोड ना करना भाजपा जिलाध्यक्षों को भारी पड़ सकता है. सूत्रों की माने तो भाजपा के एक दर्जन से अधिक संगठनात्मक जिलों में एक हजार कार्यकर्ताओं ने भी सरल ऐप डाउनलोड नहीं किया है. इसमें पश्चिमी यूपी, अवध क्षेत्र और पूर्वांचल के जिले सबसे आगे है. 


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