Chaitra navratri 4th day maa brahmacharini puja: 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के विभिन्न 9  स्वरूपों में से किसी न किसी एक रूप से संबंध रखता है. नवरात्रि पर पूरे विधान-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इसी क्रम में नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा (Ma Kushmanda) को समर्पित है. कूष्मांडा स्वरूप की पूजा-साधना करने पर साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए देवी कूष्मांडा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं.


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ऐसा है मां कूष्मांडा  का स्वरूप
मां कुष्मांडा के स्वरूप को आठ भुजाओं वाला माना जाता है. मां कुष्मांडा के हाथों में कमंडल, धनुष, कमल, पुष्प, अमृतकलश, गदा व चक्र सुशोभित हैं. इसके साथ ही मां जपमाला रखती हैं. मां  सिंह की सवारी करती हैं. मान्यतानुसार .देवी कुष्मांडा को रोग दूर करने वाली देवी भी कहा जाता है. खुश होने पर वे भक्तों को यश, बल व धन से समृद्ध कर देती हैं.


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चौथे दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 मार्च को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट पर शुरू 
समापन 25 मार्च दोपहर 02 बजकर 53 मिनट पर 


शुभ योग का निर्माण
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन अति शुभ योग अर्थात रवि योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 11 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस अवधि में मां कुष्मांडा की उपासना करने से पूजा का विशेष फल मिलता है.


मां कूष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें.फिर इसके बाद मां कूष्मांडा की तस्वीर एक चौकी को ईशान कोण में स्थापित करें. चौकी पर  लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और  गंगाजल से पवित्र करें. मां के सामने शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं और विधिवत पूजा करें. भगवती कूष्मांडा की पूजा में अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार फल-फूल, धूप, भोग आदि अर्पित करें. मां को भोग में आमतौर पर हलवा और दही लगाया जाता है. मां माता के मंत्रों का जाप करें. पूजा का पुण्यफल पाने के लिए अंत में देवी भगवती की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटने के बाद स्वयं भी ग्रहण करें.


मां कूष्मांडा की प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।।


पूजा का धार्मिक महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार कूष्मांडा माता की साधना से साधक के भीतर जीवनी शक्ति का संचार होता है. मां  इस पावन स्वरूप की साधना करने से साधक हमेशा निरोगी बना रहता है. उसकी आयु में वृद्धि होती है.


 Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.


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