चंदौली: यूपी के चंदौली से शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता एक मामला सामने आया है. जहां स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे, चपरासी बने नजर आ रहे हैं. एक तरफ जहां केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार परिषदीय विद्यालयों में कॉन्वेंट विद्यालय की तर्ज पर शिक्षा व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं, वहीं, कुछ लापरवाह अध्यापक सरकार के प्रयासों को पलीता लगा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है.


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शहाबगंज के अंतर्गत है प्राथमिक विद्यालय 
दरअसल, पूरा मामला शहाबगंज ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय ताला, तेनुई का है. यहां दोनों विद्यालयों में सुबह साढ़े आठ बजे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे चाभी लेकर स्कूल खोलते नजर आए. मजे की बात ये रही कि जब बच्चे स्कूल खोल रहे थे, तब गुरुजी मौके पर मौजूद नहीं थे. हालांकि, गुरुजी अपनी आदत के हिसाब से रोज की तरह स्कूल का दरवाजा खोलने तक स्कूल नहीं पहुंचे थे.


मास्टर जी ने अपनी सुविधा के अनुसार किया काम
ये बात अलग है कि गुरुजी ने अपनी सुविधा के लिए स्कूल की चाभी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को सौंप दी है, ताकि बच्चे समय से पहुंचकर स्कूल खोल सके. गुरुजी आराम से दस बजे स्कूल पहुंचेंगे तो कोई भी पूछने वाला नहीं मिलेगा. इन दोनों स्कूलों की स्थिति देखकर तो यही लग रहा है कि सैलरी गुरुजी को नहीं मिलती है. स्कूल खोलने वाले बच्चों को मिलती है. जबकि सरकार का स्लोगन है कि पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया. अब जब गुरुजी समय से स्कूल ही नहीं पहुंचेंगे तो खाक आगे बढ़ेगा इंडिया.


इस मामले में एबीएसए ने दी जानकारी
आपको बता दें इस मामले में एबीएसए अजय कुमार ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है. अगर स्कूल की चाभी बच्चों के हाथ में है और बच्चे स्कूल खोलते हैं तो ये बेहद गंभीर मामला है. मामले की जांच कर संबंधित अध्यापकों को नोटिस जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.


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