CJI UU LALIT : देश के 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर शनिवार को जस्टिस उदय उमेश ललित ने शपथ ग्रहण की. उनका कार्यकाल महज 74 दिन का होगा. सीजेआई यूयू ललित अपने फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. तीन तलाक को गैरकानूनी करार देने वाले ऐतिहासिक फैसले में वो शामिल रहे. उन्होंने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. 
जस्टिस ललित को 13 अगस्त 2014 को वरिष्ठ अधिवक्ता से सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था.वह मुस्लिमों में ‘तीन तलाक’ की प्रथा को गैरकानूनी ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे.5 जजों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3 : 2 के बहुमत से ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था.इन तीन जजों में जस्टिस ललित भी थे. उन्होंने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई से खुद को जनवरी 2019 में अलग कर लिया था. मामले में एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने संविधान पीठ को बताया था कि जस्टिस ललित यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के वकील के तौर पर एक संबंधित मामले में वर्ष 1997 में पेश हुए थे.


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बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए दूसरे जज
जस्टिस यूयू ललित देश के दूसरे ऐसे मुख्य न्यायाधीश हैं, जो बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट की बेंच में पदोन्नत हुए थे. जस्टिस ललित से पहले जस्टिस एसएम सीकरी मार्च 1964 में शीर्ष न्यायालय की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे.जस्टिस जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे. शपथग्रहण के बाद प्रधान न्यायाधीश ललित ने कहा कि वो सुनिश्चित करेंगे कि उच्चतम न्यायालय में कम से कम एक संविधान पीठ पूरे साल कार्य करे. 
सीजेआई के तौर पर जस्टिस ललित के कार्यकाल में संविधान पीठ के मामला समेत कई बड़े मामले सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए आने की संभावना है.


स्किन टू स्किन कांटैक्ट जैसे अहम मामलों में फैसले दिए
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अधिसूचित किया था कि 29 अगस्त से 5 जजों की संविधान पीठ वाले 25 मामलों पर सुनवाई शुरू होगी.पांच जजों की बेंच के समक्ष आने वाले महत्वपूर्ण मामलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने वाले संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 को चुनौती देने वाली, व्हाट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी,सदन में भाषण या वोट देने के लिए रिश्वत लेने को लेकर आपराधिक अभियोजन से छूट का दावा करने वाले सांसदों और विधायकों का मामला शामिल है. न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास केरल में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार है.

पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बांबे हाईकोर्ट के ‘स्किन टू स्किन कांटैक्ट’ संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था. उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सुनवाई के लिए सीबीआई का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था.


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